वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे स्टेम सेल थेरेपी से मरीजों को जागी उम्मीद -

रीढ़ की हड्डी में चोट के मरीजों के लिए नई क्रांति

दुनिया के 60 से अधिक देेेशों के 6 हजार

से अधिक लोगों का उपचार

मरीजों के लिए  इंदौर में नि: शुल्क शिविर 2 को

 हरमुद्दा डॉट कॉम

रतलाम। रीढ़ की हड्डी में चोट के मरीजों के लिए नई उपचार तकनीक कारगर साबित हो रही है। मरीज स्टेम सेल थेरेपी को उम्मीद के रूप में देख रहे हैं। देेेश के साथ ही दुनिया के 60 से अधिक देेेशों के 6 हजार से लोगों का उपचार करने में उल्लेखनीय सफलता मिली है।ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है जो क्षतिग्रस्त स्पाइनल कॉर्ड के लिए कारगर उपचार करते हों।हाल ही में नीमच के 23 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर अजहर खान दुर्घटना के बाद पिछले दो वर्षों से व्हीलचेयर पर थे, अब स्टेम सेेेल थेरेपी की बदौलत सहारा लेकर चलने लगे हैं। मरीजों की सुविधा के लिए 2 मार्च को इंदौर में निःशुल्क कार्यशाला और ओपीडी परामर्श शिविर  का आयोजन होगा।

चिकित्सा विज्ञान यह जानकारी डॉ. नन्दिनी गोकुलचंद्रन ने रतलाम में पत्रकारों से चर्चा में दी। न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट की उप निदेशक और चिकित्सा सेवा प्रमुख. नन्दिनी ने बताया कि नवी मुंबई के नेरुल में स्थित न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट भारत का अग्रणी स्टेम सेल थेरेपी सह पुनर्वास केंद्र है। यह केंद्र स्टेम सेल थेरेपी और रिहैबिलेशन के माध्यम से असाध्य न्यूरोलॉजिकल मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण हैं।  न्यूरोजेन बीएसआई की स्थापना स्टेम सेल थेरेपी के माध्यम से सुरक्षित और प्रभावी तरीके से असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों की मदद करने और उनके लक्षणों और शारीरिक विकलांगता से राहत प्रदान करने के लिए की गई है।

डॉ. नन्दिनी ने विभिन्न प्रकार की समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया कि सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, ब्रेन स्ट्रोक , मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, सिर में चोट, सेरेबेलर एटाक्सिया, डिमेंशिया, मोटर न्यूरॉन रोग, मल्टीपल स्केलेरॉसिस और न्यूरोसाइकिएट्रिक विकार के लिए स्टेम सेल थेरेपी कारगर है। तक इस संस्थान ने 60 से अधिक देशों के 6000 मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार किया है।

 प्रदेश वासियों के लिए शिविर 2 मार्च को इंदौर में

पत्रकारों को बताया कि न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट द्वारा मध्यप्रदेश में रहने वाले न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों के लिए 2 मार्च 2019 को इंदौर में एक निःशुल्क कार्यशाला और ओपीडी परामर्श शिविर होगा। न्यूरोजेन को एहसास है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी इत्यादि विकारों से पीड़ित मरीजों को सिर्फ परामर्श के उद्देश्य से मुंबई तक की यात्रा करना कष्टदायक होता है, इसलिए सुविधा की दृष्टि सेे शिविर लगा रहे हैं। निःशुल्क परामर्श के लिए समय लेने के लिए मोना (मोबाइल नंबर- 09920200400) या पुष्कला (मोबाइल नंबर – 09821529653) से संपर्क कर सकते हैं।

 तो हो जाते हैं अपंग

एलटीएमजी अस्पताल और एलटीएम मेडिकल कॉलेज, सायन, मुंबई के प्रोफेसर एवं न्यूरोसर्जरी के प्रमुख और न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि किसी व्यक्ति की स्नायुतंत्र की क्षमता का महज अनुमान लगाने के बजाय कार्यक्षमता के अनुरूप उसका आंकलन किया जाना चाहिए। अक्सर गिरने या फिर खेलकूद के दौरान चोट लगने से रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो जाती है। 10 लाख लोगों में से लगभग 25 लोग इस तरह की चोट की चपेट में आते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट का परिणाम, चाहे वह अधरांगघात (पैराप्लेजिया) हो अथवा चतुरांगघात (क्वाड्रीप्लेजिया) हो, गंभीर और अपंग बना देता है।

 फिर खड़े हो सकते पैरों पर

डॉ. नन्दिनी ने बताया कि लंबे समय से यह धारणा रही है कि स्पाइनल कॉर्ड के क्षतिग्रस्त (एससीआई) होने के कारण पैराप्लेजिया या क्वाड्रीप्लेजिया की समस्या के चलते व्यक्ति ताउम्र के लिए व्हीलचेयर पर सिमट कर रह जाता है या फिर जीवन भर बिस्तर पर पड़ा रहने को मजबूर हो जाता है। इन रोगियों के जीवन को पुन: गतिशील बनाने के लिए चिकित्सा समुदाय ने हमेशा खुद को किसी कारगर उपकरण या उपाय से रहित महसूस किया है। लेकिन अब स्टेम सेल थेरेपी के उभरते युग के साथ हम इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में फर्क ला सकते हैं और उन्हें एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद कर सकते हैं। खर्च भी कम ही आता है। समाजसेवी संगठन भी आर्थिक मदद करते हैं। 

 कौन है अजहर 

मध्यप्रदेश नीमच के एक 23 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर श्अजहर खान पर 6 अप्रैल 2016 की रात, भारी वर्षा के दौरान एक दीवार गिर गई और वह मलबे के नीचे फंस गया। इसके कारण उनकी रीढ़ में डी-12 -एल-1 स्तर पर चोट पहुंची। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया और 2 से 3 दिनों के भीतर स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी की गई। विभिन्न प्रकार की दवाओं के साथ ही सामान्य एक्सरसाइज भी कराए गए, हालांकि इससे उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अजहर और उनके परिवार के लोगों को पूर्व में अपना इलाज करा चुके एक व्यक्ति से न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के बारे में जानकारी मिली। बिना समय बर्बाद किए अजहर के परिवारवालों ने ऑनलाइन परामर्श किया और जुलाई 2017 के दौरान एनआरआरटी (न्यूरो रीजनरेशन रिहेबिलिटेशन थेरेपी) के लिए न्यूरोजेन बीएसआई पहुंचे।न्यूरोजेन बीएसआई पहुंचने पर अजहर में मुख्य शिकायतों में पाया गया कि धड़ पर नियंत्रण बहुत खराब था। पीठ का सहारा लिए बिना शर्ट पहनने जैसे कार्य में भी कठिनाई महसूस होती थी। खड़े होने पर चक्कर आने जैसा महसूस होता था। 15-20 मिनट से ज्यादा खड़ा रह पाने में मुश्किल होती थी। रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में कठिनाई महसूस होती थी। कमर से नीचे के हिस्से में स्पर्श या दबाव महसूस नहीं होता था। मूत्राशय और आंत्र नियंत्रण नदारद था, तो वहीं किसी तरह की संवेदना महसूस नहीं होती थी। न्यूरोजेन में अजहर को एक सप्ताह के लिए एनआरआरटी (न्यूरो रीजनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी) दी गई। उन्हें अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, मनोवैज्ञानिक काउंसिलर्स इत्यदि द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। उपचार के बाद घर लौटने पर अजहर ने नियमित रूप से पुनर्वास प्रक्रिया का पालन किया। पत्रकारों को बताया कि इतने सारे उपचार करने के बाद पहली बार मैंने खुद को सुधार के रास्ते पर पाया है। वाकर केे सहारे अब वह स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम है।  न्यूनतम सहारे के साथ सीढ़ियां चलने लगा है। डी-12, एल-1 और एल-2 हिस्से में हल्के स्पर्श की संवेदना महसूस होने लगी है।

 देते हैं प्रशिक्षण

डॉ. नन्दिनी ने बताया कि न्यूरोजेन में मरीजों को केवल स्टेम सेल थेरेपी ही नहीं दी जाती है बल्कि स्टेम सेल थेरेपी के साथ-साथ उनके व्यापक पुनर्वास का प्रयास भी किया जाता है। मरीजों को उठने का तरीका, खाट से व्हीलचेयर पर स्थानांतरण का सटीक तरीका, व्हीलचेयर से कार की सीट पर जाने का तरीका आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।

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