कोरोना वायरस : बीमारी को छिपाने वाले को भी हो सकती है दो साल की सजा
🔲 बीमारी फैलाने का लगता है आरोप
🔲 ऐसे कई लोगों के खिलाफ हुई है एफआईआर दर्ज
हरमुद्दा
रतलाम, 1 अप्रैल। चाहे विदेश से आए हो या देश में ही इधर-उधर से यात्राएं की हो। यदि उन्हें कोरोना वायरस है और वे छुपाने की जुगत में लगे हुए हैं तो उन्हें जेल हो सकती है। उन पर बीमारी फैलाने का आरोप लगता है। ऐसा करने पर कई के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।
कोरोनावायरस को हल्के में लेने वाले लोग इस बीमारी को छुपा रहे हैं और इलाज करवाने में कोताही बरत रहे। पुलिस प्रशासन ने दिल्ली की तब्लीगी जमात के लोगों को आइसोलेट किया है तो इंदौर में भी पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई कर 55 लोगों को आइसोलेट किया। ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति द्वारा संक्रमण फैलाया जा रहा है तो उस पर भी एफ आई आर दर्ज की जा सकती है। संक्रमित व्यक्ति का उपचार कर। उस पर विभिन्न धाराओं में कार्रवाई कर अर्थदंड एवं सजा सुनाई जा सकती है।
हुआ है ऐसा देश में
कोरोना संकट के बीच कांगड़ा निवासी 63 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला के खिलाफ धारा 270 के तहत मामला दर्ज किया गया। ये बुजुर्ग महिला दुबई से यात्रा कर भारत लौटी थी और उन्होंने इस दौरान अपनी यात्रा का सही ब्योरा नहीं दिया था। बाद में वो कोरोना पॉजिटव निकली थीं। वहीं, कांगड़ा का ही रहने वाले एक 32 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ धारा 270 के तहत मामला दर्ज हुआ है। ये शख्स सिंगापुर से भारत लौटा था। वहीं, बॉलीवुड की मशहूर सिंगर कनिका कपूर के खिलाफ भी आईपीसी की इसी धारा के तहत केस दर्ज हुआ है। साथ ही, उनपर धारा 269 और धारा 188 के तहत भी मामला दर्ज हुआ है। कोरोना पॉजिटिव सिंगर कनिका कपूर लंदन से भारत लौटी थीं और लखनऊ में कई पार्टियों में भी हिस्सा लिया था।
जुर्माने और 2 साल की सजा का प्रावधान
एडवोकेट आलोक पुरोहित का कहना है कि आईपीसी की धारा 269 तब लगती है, जब कोई लापरवाही का ऐसा काम करे, जिससे जीवन को ख़तरे में डालने वाली बीमारी का इंफेक्शन फैल सकता हो। इसके तहत छह महीने तक की सज़ा हो सकती है या जुर्माना लग सकता है, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
🔲 आईपीसी की धारा 270 तब लगती है, जब कोई ऐसा घातक काम करे, जिससे जीवन को ख़तरे में डालने वाली बीमारी का इंफेक्शन फैल सकता हो। इसके तहत दो साल की सज़ा और जुर्माना या दोनों हो सकता है।
🔲 धारा 188 तब लागू की जाती है, जब जिले के लोक सेवक, जो कि एक आईएएस अफसर होता है, उसके द्वारा लागू विधान का उल्लंघन किया जाए। ये सरकारी आदेश के पालन में बाधा और अवज्ञा के तहत आता है। जब प्रशासन की ओर से लागू किसी ऐसे नियम जिसमें जनता का हित छुपा होता है, उसकी कोई इसकी अवमानना करता है तो प्रशासन उस पर धारा 188 के तहत कार्रवाई कर सकता है. इसके तहत एक माह के साधारण कारावास या जुर्माना या जुर्माने के साथ कारावास की सजा का प्रावधान है।
समाज के सहयोग के बिना नियंत्रण असंभव, सजा का भी प्रावधान
कानून के जानकार अभिभाषक सुनील पारिख ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री, राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री एवं जिला स्तर पर डीएम प्रमुख होते हैं। आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं सहित महामारी को लिया गया है। फिर भी जैविक आपदाएं, महामारी, पशुओं की महामारी, जहरीला भोजन, रासायनिक गैस रिसाव, परमाणु बम गिरना आदि आपदाएं ली गई है। इसके तहत संपूर्ण लोक प्रशासन एक विशेषीकृत शाखा है जो प्राकृतिक एवं मानवीय कारणों से उत्पन्न आपदाओं को नियंत्रण, समन्वय राहत, बचाव, पुनर्वास आदि करती है। इसमें केंद्र, राज्य एवं स्थानीय शासन के अलावा बहुत सारी संस्थाएं, समुदाय इसमें अपना सहयोग देते हैं। प्राथमिक रूप में सरकारी दायित्व को इंगित करता है। किंतु समुदाय के निजी सहयोग के बिना यह कार्य अधूरा होता है। इस प्रकार के नियंत्रण के लिए समाज का सहयोग अत्यंत जरूरी होता है। कोरोना के मामले में समाज पूरा सहयोग कर रहा है।आपदा प्रबंधन कार्य में बाधा कारित करने पर 1 वर्ष या 2 वर्ष की सजा तथा मिथ्या दावा करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
ये जीवन के साथ है खिलवाड़
समाजसेवी ज्योति चौधरी का कहना है अगर संक्रमण से प्रभावित व्यक्ति ऐसा करेगा तो इससे पूरा देश बर्बाद हो सकता है। लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझना चाहिए। हर बीमारी का उपचार संभव है तो फिर इसे छिपाने की जरूरत क्या है? यह तो सामाजिक जीवन के साथ खिलवाड़ है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोग मानव बम के समान है।
ऐसा करने वालों को नहीं छोड़ा जाएगा
जो भी व्यक्ति कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में प्रशासन की कोशिशों में बाधा डालेगा। गुमराह करने की कोशिश करेगा, उन पर क़ानूनी कार्रवाई होगी। अफ़वाह फैलाने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा।
🔲 रुचिका चौहान, कलेक्टर, रतलाम