जीवागंज को ‘गुदरी’ बनने से बचाया ‘संचेती मॉडल’ ने

🔲 एक परिवार की जागरूक पहल बन सकती है कोरोना से लड़ाई का नया हथियार

🔲 महेंद्र जैन

मंदसौर, 22 मई। कोरोना पॉजीटिव की संख्या शतक लगाने को बेताब है। ऐसी स्थिति में आमजन की जागरूकता और सरकारी दिशा निर्देर्शों का कड़ाई से पालन अनिवार्य हो गया है। जीवागंज को ‘गुदरी’ बनने से रोकने के लिए दिवंगत अशोक संचेती के परिवार की जागरूक पहल एक मॉडल बन कर उभरी है। प्रशासन इस ‘संचेती मॉडल’ को ही प्रमोट कर ले तो कोविड 19 मंदसौर में अपना सैकडा पूरा नहीं कर पाएगा।

जागरूकता और लापरवाही किसी अभियान में क्या भूमिका अदा कर सकती है, इसका फर्क देखना है तो मंदसौर के दो इलाके जीवागंज और गुदरी ही काफी हैं। गुदरी इलाके में एक संक्रमित से संख्या पचास पार इस अंदाज में गई, मानों किसी क्रिकेट पिच पर सहवाग जैसा खिलाड़ी बेटिंग कर रहा हो। इस क्षेत्र में सरकारी गाइडलाईन की धज्जियां उड़ी। प्रशासन को स्थिति नियंत्रण में रखने के लिए नाको चने चबाने पड़े। अभी भी वहां के संदिग्धों की रिपोर्ट पॉजीटिव आती जा रही है। दूसरी तरफ जीवागंज में एक रिटायर्ड शिक्षक अशोक संचेती की बीमारी से मौत के बाद परिवार के संयम और दूरदृष्टि ने पूरे इलाके में गुदरी जैसे हालात नहीं बनने दिए। इस परिवार के करीब एक दर्जन लोगों को क्वारेंटाइन किया गया था। इनमें से लगभग सभी की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद सब लोग घर पहुंच गए।

अशांशु संचेती की सूझबूझ

जीवागंज कंटेंन्टमेंन्ट एरिया की श्रेणी से भी एक सप्ताह में ही मुक्त हो गया। यह सब हुआ दिवंगत संचेती के भतीजे अशांशु संचेती की सूझबूझ से। जीवागंज निवासी दिवंगत संचेती शुगर से पीडित थे। उन्हें 29 अप्रेल को शहर के पमनानी हॉस्पीटल भर्ती किया। यहां समुचित उपचार नहीं मिलने पर इंदौर सीएचएल ले जाया गया। वहां से उन्हें दो अलग-अलग कोविड हॉस्पीटल में रखा गया। इस दौरान शेल्बी हॉस्पीटल में उनका कोरोना टेस्ट भी हुआ, जो 3 मई को निगेटिव आया। इंदौर में उनकी हालत में कुछ सुधार और कोविड के खतरे को देखते हुए उन्हें 11 मई की रात मंदसौर लाया गया। यहां पहुंचते ही उनकी मृत्यु हो गई।

काफी जोर दिया गया तब जाकर दिवंगत का लिया सैंपल

12 मई को उनकी अंत्येष्टि की गई, किन्तु इसके पूर्व अशांशु संचेती ने दिवंगत की कोविड जांच के लिए कोरोना नियंत्रण कक्ष पर फोन लगाकर स्थिति बताई तो वहां से मृतक का सेंपल लेने से मना किया गया। दरअसल शासन की नई गाइडलाईन के मुताबिक अब मृतक की कोरोना जांच नहीं की जाती है। हालांकि कोविड सेंटर से मेडिकल टीम ने पूरे परिवार की स्क्रीनिंग भी की, लेकिन मृतक का सेंपल लेने को तैयार नहीं हुए। काफी जोर देने पर उनका सेंपल लिया गया। आशंका के अनुरूप हीे 15 मई की रात दिवंगत संचेती की रिपोर्ट पॉजीटिव आ गई।

आनन-फानन में किया जीवागंज को सील

प्रशासन ने आनन-फानन में उनके निवास वाले इलाके जीवागंज को कंटेंटमेंट एरिया घोषित कर सील किया। रात में और सुबह परिवार के करीब एक दर्जन सदस्यों को आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज में क्वारेंटाइन पर भेजा। इसके पूर्व दिवंगत संचेती की अंत्येष्टि में भी पूरी सावधानी बरती गई। मुक्तिधाम पर जाने वाले सदस्यों की संख्या बेहद सीमित रखी गई।

परिजनों की आई रिपोर्ट नेगेटिव, पहुंचे घर

20 और 21 मई की देर रात आई रिपोर्ट में संचेती परिवार के लगभग सभी लोग संक्रमण निगेटिव निकले। शुक्रवार को सब घर चले गए। दो की रिसेंपलिंग की वजह से उनकी रिपोर्ट अभी लंबित है।

अब बारी जिला प्रशासन

इस पूरे प्रकरण में संचेती परिवार की जागरूकता ने जो किया, वह सबके सामने है। अब बारी प्रशासन की है कि वह इस ‘संचेती मॉडल’ को पूरे जिले में अपनाकर जन जन को जागरूक करने का अभियान चलाए।

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