वाह रे जिला प्रशासन वाह! : इंसान की सेहत नहीं, मशीनों का चलना जरूरी, मरीजों के लिए फल सब्जी नहीं मिलेगी, लेकिन उद्योगों में मशीनें चलेगी
ढाई घंटे में ही उद्योगपतियों के पक्ष में कर दिया कलेक्टर ने आदेश
आमजन, मरीज, सब्जी और फल उत्पादकों के लिए बोलने वाले कोई नहीं पूर्व कृषि मंत्री भी मौन
हरमुद्दा
रतलाम, 5 मई। वाह रे जिला प्रशासन वाह! मरीजों के लिए फल सब्जी शहर में नहीं मिलेगी किंतु उद्योगों में मशीनें चलेगी। दैनिक जरूरत की चीजों पर प्रतिबंध लगाना कतई उचित नहीं। जिला प्रशासन को नागरिकों के तहत की जरा भी फिक्र नहीं है लेकिन उद्योगपतियों की तिजोरी की चिंता है। पिछले लॉकडाउन में नौकरी गंवाने वाले कई लोग आत्मनिर्भर बन फल सब्जी बेचने के कार्य में जुट गए थे। अब वह भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
मंगलवार की रात को 8:12 पर जनसंपर्क कार्यालय के व्हाट्सएप पर खबर के लिए कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड का आदेश आया कि कोरोना कर्फ्यू के चलते मेडिकल उपकरण बनाने वाले कारखानों के अलावा अन्य सभी उद्योग इकाइयां बंद रहेगी। इसके साथ ही फल एवं सब्जी का विक्रय नहीं होगा। साथ ही चलित उठावने पर भी प्रतिबंध लगाया रहेगा। वही वैवाहिक आयोजन पर भी मनाही की गई।
उद्योग सभी चालू रहेंगे
मंगलवार रात 10:43 पर फिर जनसंपर्क के व्हाट्सएप ग्रुप पर कलेक्टर का संशोधित आदेश आया कि औद्योगिक इकाइयां सभी चालू रहेगी। बाकी आदेश यथावत रहेगा।
आम जनता के लिए, मरीजों के लिए फल और सब्जी अत्यंत जरूरी है या चंद उद्योगपतियों के कारखाने? संभवतया उद्योगपति जनप्रतिनिधि ने ही आदेश दिया होगा कि कारखाने बंद नहीं होंगे। भले ही मतदाताओं को फल और सब्जी ना मिले। कल मरने की बजाए आज मारे। उनकी बला से। जबकि फल और सब्जी खराब होने वाली वस्तुएं हैं। इसकी नुकसानी गरीब काश्तकार भुगत रहा है लेकिन जिन उद्योगों में कुछ भी खराब नहीं होना है। उनके पीछे दुम हिलाने वाले जिला प्रशासन ने उनके फेवर में आदेश कर दिया।
जबकि जरूरी है फल सब्जी सेहत के लिए
आखिर घर-घर जाकर फल सब्जी बेचने बेचने में दिक्कत ही क्या थी जबकि वर्तमान दौर में सेहत के लिए फल और सब्जी बेहद जरूरी है। वार्ड स्तर पर योजना पर। बनाकर फल सब्जी का प्रबंधन करना जिला प्रशासन का दायित्व है। ऐसा सामंजस्य बिठाने में जिम्मेदार गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना रहे हैं। जबकि पिछले साल भी तत्कालीन कलेक्टर रुचिका चौहान के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने सफल लॉक डाउन किया था। घर घर में सब्जी और फल पहुंचाए थे। व्यवस्था चाक-चौबंद की थी। मूल्य भी तय कर दिए गए थे। किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। जब अमला वही है तो कार्य वैसा क्यों नहीं हो रहा और संक्रमण भी पूरी तरह से नियंत्रण में था? इतने बड़े हुए संक्रमित और इतनी मौतें? नहीं थी।
किस काम के ऐसे? आला अफसर
भाजपा शासन काल के पूर्व कृषि मंत्री धूल जी चौधरी के जिले में सब्जी और फल उत्पादकों के हित में बोलने वाला कोई नहीं है। सभी के मुंह में दही जमा हुआ है। जबकि कृषि आयोग के अध्यक्ष भी रतलाम जिले से ही नाता रखते हैं। आमजन फल सब्जी के लिए परेशान हैं। सेहत के लिए जितनी दवाई जरूरी है , उतना ही फल भी कारगर हैं। नारियल पानी भी जरूरी है। प्रशासन जुल्म ढा रहा है। कोई योजना नहीं बना पा रहा है। ऐसे आला अफसर किस काम के?
कांग्रेसी क्यों है मौन
जनहित के मुद्दे पर कांग्रेस के जिम्मेदार भी मौन साधे हुए क्यों है? यह वही जाने, लेकिन यह बात तय है कि ऐसे माहौल में भी जब कांग्रेस मुद्दों को नहीं उठाती है। इन दिनों बोहरा और मुस्लिम समाज के रोजे चल रहे हैं। रमजान में लोगों को परेशानी हो रही है। अफ्तारी और सहरी के लिए फल नहीं मिल रहे हैं। खाद्य वस्तुएं नहीं मिल रही है। मई की जानलेवा गर्मी में फल रोजदार को काफी राहत देते हैं। आम जनता के बारे में चर्चा नहीं करती है, उनका समाधान नहीं करती है, इस बात को लेकर भी जिला प्रशासन पर दबाव नहीं बना पाते है तो कांग्रेसी और गर्त में चलती जाएगी।