कर्मचारी एकता : वित्त विभाग की तानाशाही, मांगें पूरी नहीं होने पर प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी

🔲 आधे वेतन पर अपनी जान हथेली पर रखकर विपरीत परिस्थितियों कर रहे हैं कार्य

🔲 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ रतलाम ने प्रभारी सीएमएचओ को दिया ज्ञापन

हरमुद्दा
रतलाम, 25 मई। कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य में कार्य करने कर्मचारियों को न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान दिए जाने मांग सहित अन्य मुद्दों को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा। वित्त विभाग ने तानाशाही के चलते 2018 से मंजूर फाइल को अब तक पेंडिंग में रख रखा है। कोरोना वायरस से कई साथी चले गए और कई साथियों को खोया है, परिजनों को खोया है। उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। जान हथेली पर सेवा देने के बावजूद पूरे वेतन के लिए परेशान होना पड़ रहा है ज्ञापन में कहा गया कि मांग पूरी नहीं होने पर 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन करेंगे।

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ रतलाम द्वारा प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर प्रभारी सीएमएचओ को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया गया।

आधे वेतन पर अपनी जान हथेली पर रखकर विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने के बावजूद उपेक्षा

संविदा स्वास्थ्य संघ प्रदेश संयोजक अमिताब चौबे तथा प्रदेश कार्यकारणी अध्यक्ष जितेंद्र सिंह भदौरिया ने ज्ञापन में बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी जिनमें संविदा आयुष चिकित्सक, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, स्टाफनर्स, ए.एन.एम., डाटा मैनेजर, डाटा एंट्री ऑपरेटर , टी.वी. कर्मचारी, बीसीएम, बीपीएम, सपोर्ट स्टाॅफ, डेम, बेम, डीएचएस अकाउंटेन्ट सी.एच.ओ., डीपीएमयू यूनिट आईडीएसपी के कर्मचारी एड्स कर्मचारी आदि समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार पिछले वर्ष से कोरोना महामारी मे आधे वेतन पर अपनी जान हथेली पर रखकर विपरीत परिस्थितियों में 24 घंटे लगातार आर.आर.टी./एम.एम.यू.आई, कोविड केयर सेंटर मे आई.सी.यू. में सेवाएं दे रहे है।

स्वास्थ्य कर्मचारी के साथ परिजनों की भी हुई है मौत

इस बीच प्रतिदिन इस बार सैकडो संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी ड्यूटी करते हुए लगातार संक्रमित हो रहे है और लगातार कई संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का निधन हो गया है और हो रहा है। कुछ कर्मचारियों के पाॅजिटिव होने के कारण उनके पिता की उनके भाई की और स्वयं की भी मृत्यु हो गई अब उनके केवल बच्चे बचे हुए है। इन सभी परिवार के प्रति हम सब और सरकार की जिम्मेदारी बनती है, जिससे जिले के समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में आक्रोश है और दुखी है।

आखिर क्या गुनाह है संविदा कर्मचारियों का

हम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों का गुनाह क्या है। गुनाह यही है की हम जान हथेली पर रखकर अपनी जान जोखिम मे डालकर 24 घंटे समाज में स्वास्थ्य सेवाऐ दे रहें हैं। कई अपने साथियों को भी इस विपदा में खोया है जिसकी भरपाई जीवन भर नहीं कर सकते है। उनके परिवार को पालने की जिम्मेदारी भी हम सबकी बनती है और जिससे जिले के समस्त कर्मचारियों में आक्रोश है।

2018 को संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बनाई गई अब तक लागू नहीं

ज्ञापन में बताया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा ही 5 जून 2018 को संविदा कर्मचारियों के लिए नीति बनाई गई जो कैबिनेट में पारित की गई और सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान देने के आदेश प्रसारित हुए जिसके अनुसार महिला बाल विकाल विभाग, राजस्व विभाग, खेल युवा कल्याण विभाग, पशुपालन विभाग, लोक स्वास्थ्य कल्याण विभाग, लोकसेवा प्रबंधन एवं पुलिस काॅरपोरेशन विभाग सभी को 90 प्रतिशत वेतन का लाभ दिया गया है। लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की फाइल आज दिनांक तक 3 वर्ष मे भी वित्त विभाग से स्वीकृत नहीं की गई। आज भी वित्त विभाग में पेंडिग में है।

वित्त विभाग ने 3 वर्षों से रोक रखा है फाइल को

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियो को 90 प्रतिशत दिलाने के संबंध में मिशन संचालक द्वारा, अपर मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग द्वारा, स्वास्थ्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री द्वारा, वित्त मंत्री द्वारा, नगरीय प्रशासन मंत्री द्वारा सहमति दी है, और मुख्यमंत्री द्वारा भी कैबिनेट में पास करके सहमति जताई गई लेकिन चंद कुछ वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा 3 वर्ष से इस फाइल को रोक कर रखा गया है।

आक्रोशित है प्रदेश भर के कर्मचारी

वर्तमान मे भी वित्त विभाग में पेडिंग है जबकि सामान्य प्रशासन के निर्देशानुसार नीति में स्पष्ट रूप से राज्य स्वास्थ्य समिति एवं जिला स्वास्थ्य समिति मे कार्यरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान दिए जाने के निर्देश दिये थे जिसका पालन आज दिनांक तक नहीं किया गया जिससे सभी कर्मचारी आक्रोशित है।

यह थे मौजूद

ज्ञापन देते समय डीपीएम डॉक्टर अजहर अली, डॉ. तरुण गर्ग, डॉक्टर आफरीन, अकाउंटेंट संजय उपाध्याय एवं अन्य संविदा कर्मचारी उपस्थित थे।

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगें

🔲 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश में कार्यरत समस्त संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को 5 जून 2018 की नीति कें अनुसार नियमित कर्मचारी के वेतनमान का न्यूनतम 90 प्रतिशत वेतनमान की फाइल वित्त विभाग से स्वीकृत कराकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से तत्काल आदेश प्रदान करने की मांग की।

🔲 समस्त निष्काशित एवं सपोर्ट स्टाफ कर्मचारी जिन्हें आउट सोर्स ऐजेंसी में कर दिया गया है, उनकी तत्काल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश में वापसी की जाए।

🔲 ज्ञापन में संघ द्वारा बताया गया कि आज दिनांक तक संघ की मांगों का निराकरण नहीं किया गया इससे दुखी होकर मजबुरन प्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया है।

चरण बद्ध आंदोलन की रूपरेखा

पूरे मध्यप्रदेश के जिला कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों एवं जिला मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों के समस्त अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों को माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय मिशन संचालक महोदया जी के नाम ज्ञापन सौंपकर संघ की की जायज मांगों से अवगत कराकर चरणबद्ध आंदोलन की सूचना दी जाएगी।

🔲 मध्यप्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी काली पट्टी बांधकर अपने कर्तव्य स्थल पर कार्य कर प्रदर्शन करेंगे।

🔲 पूरे मध्यप्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी इस कोरोना काल मे जान जोखिम में डालकर समाज की सेवा निस्वार्थ भाव से करने वाले कोरोना योद्धा जो शहीद हो गऐ है उनकी प्रतिमाओं पर पुष्प माला एवं केंडिल जलाकर उन्हें श्रद्धाजंली अर्पित की जाएगी।

🔲 पूरे मध्यप्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी जनता से अपने सुरक्षित भविष्य के लिए जनता से भीक मांगेगे एवं जो राशि एकतित्र होगी ,वह राशि कोरोना काल में शहीद हुए कोरोना योद्धाओं के परिवार को अर्पित की जाएगी। साथे ही काले गुब्बारे छोडे जाएंगे।

🔲 इसके बाद भी सरकार संघ की मांग पूरी नहीं करती है तो मध्यप्रदेश के 19000 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर पडने वाले प्रभाव का एवं मरीजों को होने वाली असुविधाओं की पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

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