उच्च शिक्षा विभाग में दुर्भावना : वैक्सीनेशन की जानकारी में जनभागीदारी सहित अन्य से कार्यरत हजारों कर्मचारियों का उल्लेख नहीं
उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्त्यवस्थ अधिकारी डॉ. राकेश श्रीवास्तव पर जनभागीदारी कर्मचारी संघ ने लगाया भेदभाव का आरोप
प्रदेश के कर्मचारियों में रोष व्याप्त
हरमुद्दा
भोपाल/रतलाम, 1 जून। मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. राकेश श्रीवास्तव द्वारा Covid-19 वैक्सीनेशन से संबंधित जानकारी ऑनलाइन दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं किंतु संबधित अधिकारी ने दुर्भावनावश जनभागीदारी सहित अन्य मदों से कार्यरत कर्मचारियों का पत्र में उल्लेख नहीं किया है। जिस कारण शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य इन कर्मचारियों की जानकारी ऑनलाइन दर्ज नहीं करेंगे। भयावह कोरोना जैसी महामारी के समय शासकीय महाविद्यालयो में जनभागीदारी सहित अन्य मदों से कार्यरत कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार अमानवीय है, जिससे प्रदेश के कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
मध्यप्रदेश शासकीय महाविद्यालयीन जनभागीदारी कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी हितेश गुरगेला ने बताया कि मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने Covid-19 वैक्सीनेशन से संबंधित जानकारी ऑनलाइन दर्ज करने के संबंध में एक पत्र जारी किया है। लेकिन पत्र में जनभागीदारी सहित अन्य मदों से कार्यरत कर्मचारियों के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है इस कारण प्रदेश के हजारों कर्मचारियों का नाम दर्ज नहीं होगा।
प्रदेश के हजारों कर्मचारियों के नाम नहीं होंगे ऑनलाइन दर्ज
म.प्र जनभागीदारी कर्मचारी संघ (उच्च शिक्षा) के जिला अध्यक्ष रूपेश राठौड़ ने बताया कि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी सहित अन्य मदों से कई वर्षों से कार्य कर रहे कर्मचारियों पर स्वयं विभाग के अधिकारी ही सौतेला व्यवहार करते आ रहे है। इसका ताजा मामला देखने में आया है कि विभाग द्वारा एक पत्र जारी किया गया जिसमें शासकीय महाविद्यालयो के प्राचार्य/ प्रभारी प्राचार्य, शिक्षकों, ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारी, तृतीय एव चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, अतिथि विद्वानों की कोविड वैक्सीनेशन की जानकारी चाही गई है किंतु कई वर्षों से न्यूनतम पारिश्रमिक से भी कम पर व ईपीएफ कटोत्रा न होने पर भी कार्य कर रहे जनभागीदारी सहित अन्य मदों से कार्यरत कर्मचारियो को इससे अछूता रखा जा रहा है, जबकि प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यं कर रहे जनभागीदारी कर्मचारी कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी में अपनी सेवाएं दे रहे है।
मुख्यमंत्री के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं जिम्मेदार अधिकारी
ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कर्मचारी हितैषी योजनाओं से कर्मचारियों को लाभान्वित करना चाहते है, लेकिन डॉ. श्रीवास्तव जैसे अधिकारी मुख्यमंत्री शिवराज के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए सरकार की छवि खराब कर रहे है।
क्या मुख्यमंत्री करेंगे शिकंजा
अब देखना यह है कि क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे अधिकारियों पर शिकंजा कसेंगे या इसी प्रकार जनभागीदारी सहित अन्य मदों से कार्यरत कर्मचारियो से सौतेला व्यवहार होता रहेगा।