रणनीति तैयार : बड़े मगरमच्छों पर गिर सकती है गाज बहुत जल्द
🔲 प्रशासन के जिम्मेदार दे इन लोगों की तरफ भी ध्यान, जो कर रहे हैं मिलावट के घोटाले महान
हरमुद्दा/ अनिल पांचाल
रतलाम, 24 सितंबर। प्रदेश में एक बार फिर माफियाओं के सफाए के लिए अभियान शुरू हुआ है, जिसकी धमाकेदार शुरुआत शुक्रवार को इन्दौर में हुई है। इसी के साथ ही नकली खाद्य सामग्री व दवाईयों का व्यापार करने वालों पर भी इन्दौर सहित अन्य क्षेत्रों में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। जिला प्रशासन ने रणनीति तैयार कर ली है बड़े मगरमच्छों पर आगामी सप्ताह में कार्रवाई की गाज गिर सकती है। प्रशासन के जिम्मेदार को उन महान लोगों की तरफ भी ध्यान देना होगा जो मिलावट के घोटाले कर रहे है।
मुद्दे की बात यह है कि रतलाम में नकली घी, तेल, सेव, मावा, दूध सहित चाहे कोई भी खाने-पीने मिलावटी या नकली बनकर धड़ल्ले से बिक रहे हैं सबको पता है, मगर खाद्य और औषधि प्रशासन जानबूझ कर आँखे मूंद लेता है। इस विभाग के जिम्मेदार सिर्फ तीज त्यौहार पर सडक़ पर उतरते है और छोटी-मोटी कार्रवाई के बाद जनसम्पर्क विभाग से इनके फोटो और समाचार छप जाते है।
विभाग की ढिलाई के चलते हुई बैठक
इस विभाग की इसी ढिलाई के चलते शुक्रवार एक बैठक में निर्देश दिए गए है कि फूड एण्ड ड्रग विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का वेतन अब जिला प्रमुख के अनुमोदन के बाद ही निकल पाएगा। इस विभाग को दिए गए टारगेट पर अगर अफसर खरा उतरा तो वेतन निकल पाएगा।
की गई रणनीति तैयार
माफियाओं के सफाए को लेकर शुक्रवार को जिला,पुलिस और निगम प्रशासन सहित अन्य चुंनिदा विभागों की बैठक में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण या गैर कानूनी तरीके से बनाई गई इमारतों और मिलावटखोरों आदि पर बड़ी कार्रवाई को लेकर रणनीति तैयार की गई है। इस दौरान यह भी तय किया गया है कि किसी छोटे मकान, दुकानदार पर कार्रवाई करने की बजाय उन बड़े मगरमच्छों पर शिंकजा कसा जाएगा, जो मिलावटखोरी या जमीनों के जादूगर है।
सभी से निपटा जाएगा सख्ती से
इस दौरान ये बात भी सामने आई कि माफिया या मिलावटखोरी से जुड़े जादूगर प्रभावशाली भी हो सकते है। तब तय किया गया कि कोई कितना भी प्रभावशाली होगा, उससे सख्ती से निपटा जाएगा।
माफियाओं की जानकारी देने के लिए जिला प्रशासन ने जारी किया नंबर
इसी बैठक में सैलाना रोड स्थित एक बड़ी खाली पड़ी भूमि के उपयोग पर भी ध्यान आकर्षित कर इसके उपयोग पर चर्चा की गई है। माफिया अभियान को सफल बनाने के लिए एक नम्बर 270401 भी जारी किया गया, जिस पर कोई भी व्यक्ति माफियाओं से जुड़ी जानकारी बता सकता है, इसके अतिरिक्त व्हाट्सएप नंबर 94245 00402 का उपयोग (केवल व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से) सूचना देकर किया जा सकता है। इस तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। बैठक में मौजूद जिम्मेदारों का मानना है कि इस तरह के नम्बर जारी किए जाने से कुछ अच्छे नतीजे निकल कर सामने आ सकते है।
विभाग करता है प्रभावशाली लोगों को अनदेखा
उधर खाद्य एवं औषधि प्रशासन को दिए गए निर्देश पर इस विभाग के जिम्मेदार क्या कार्रवाई करेंगे, ये तो अभी तय नहीं है, मगर ये तय है कि विभाग जानबूझ कर बड़े और प्रभावशाली मिलावटखोरों को कही न कही अनदेखा करता आ रहा है।
आंख उठाकर तक नहीं देखते दूध के व्यापारियों को
इस शहर और आसपास के गांवों में दूध का व्यापार करने वाले बड़े ठेकेदारों की तरफ कोई आँख उठा कर भी नही देखता है। ऐसे में हाल ये है कि किसी समय साईकिल पर दूध की बंदी भरने वाले दूधवाले आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक है। दूध के एक बड़े व्यापारी की तो शादी सहित अन्य समारोह में रसोई बनाने वाले हलवाईयों से सेंटिग कर रखी है। इनकी सेंटिग सफल होने पर दूधवाले ने कुछ रसोई बनाने वालों को एक-एक सोने की चैन तक उपहार में दी थी। इसी तरह हर बड़े दूधवाले के पास लाखों रुपए कीमत की आधुनिक मशीने लगी हुई है और इन मशीनों में घापड़-चुपड़ होती है, ये सभी को मालूम है।
…और मगरमच्छ को छोड़ दिया जाता है खुला
इसी रतलाम शहर के सुनसान इलाकों में नकली दवाईयां और कफ सहित अन्य सिरप निर्माण के मामले भी सामने आ चुके है और छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर मगरमच्छों को खुला छोड़ दिया गया। इसी तरह कोई ब्राडेण्ड कंपनियों के नाम का फर्नीचर तो कोई प्लास्टिक की कुर्सी टेंबले आदि बना कर मंंहगे दामों में बेच रहा है। इसी तरह के अन्य मिलावटखोर जग जाहिर है जो संबधित विभाग को दिखाई ही नही देते है।
होगा रतलाम में भी धमाका
बहरहाल माफिया के सफाए का जो बड़ा खेल इन्दौर में शुरू हुआ है वैसा ही कुछ धमाका रतलाम में किए जाने की रणनीति तैयार हुई है, इसके चलते कयास लगाए जा रहे है कि आने वाले सप्ताह में किसी बड़े मगरमच्छ पर गाज गिर सकती है।