62 वीं व्याख्यानमाला : देश की जेल में सालों से बंद 40000 लोगों की रिहाई हो सकी जनहित याचिका द्वारा, क्या आज भी जनहित याचिका है मुद्दों पर केंद्रित
⚫ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी ने कहा
⚫ मेडिएशन बिल आने के बाद लंबित मामलों के निपटारे में आएगी ज्यादा तेजी
⚫ देश में वन बचा, पर्यावरण के लिए नए कानून बने
⚫ दूसरे देशों में सुप्रीम कोर्ट के जज साल भर में सुनते हैं सो केस तो भारत में 1 दिन में
⚫ अभ्यास मंडल के बैनर तले शुरू हुई 62 वीं व्याख्यानमाला का शनिवार को हुआ समापन
हरमुद्दा
इंदौर, 20 मई। जनहित याचिका के आधार पर देश की जेल में सालों से बंद 40000 लोगों की रिहाई हो सकी। जनहित याचिका, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक समरसता और राष्ट्रहित के मुद्दों पर केंद्रीय की गई थी। हमें यह सोचना होगा कि क्या आज भी जनहित याचिका इन मुद्दों पर केंद्रित है? हम कहां पहुंच गए हैं ? देश की जनता की आस्था और विश्वास न्यायालय के साथ जुड़ा हुआ है। हमारे देश में मेडिएशन बिल आने वाला है। इसके बाद न्यायालय के लंबित मामलों के निपटारे में और ज्यादा तेजी आ जाएगी।
यह विचार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी ने व्यक्त किए। न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी अभ्यास मंडल के बैनर तले चल रही 62 वीं व्याख्यानमाला के समापन समारोह में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद थे। साउथ तुकोगंज स्थित जाल सभागार में 13 से 20 मई तक 62 वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला का आयोजन अभ्यास मंडल द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत अभिनव धनोतकर, दीप्ति गौर, नेताजी मोहिते ने किया।
पद्मश्री अभय छजलानी, वेद प्रताप वैदिक और वसंत शिंत्रे को समर्पित व्याख्यानमाला में ” न्याय प्रक्रिया में गतिशीलता” विषय पर न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने भारत में न्याय प्रक्रिया का इतिहास, रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा न्याय प्रक्रिया को लेकर कही गई बातों और कानून की विवेचना को विस्तार से समझाया।
जहां न्याय होता वह न्यायालय
उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर देवता होते हैं, उसे हम देवालय कहते हैं और जिस स्थान पर न्याय होता हैं उसे हम न्यायालय कहते हैं, उसे कैसा बनाना है यह आप पर निर्भर है। राजा विक्रमादित्य और देवी अहिल्याबाई के उदाहरण देते हुए उन्होंने न्याय के महत्व को सभी के समक्ष रखा। श्री रामचरित मानस के सुंदरकांड के प्रसंग से लेकर प्लेटो और चाणक्य के विचारों को भी उद्धृत किया।
देश में वन बचा, पर्यावरण के लिए नए कानून बने
न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी ने कहा कि न्यायालय में आने वाले मामले 3 तरह के होते हैं। पहला पारिवारिक, दूसरा सामाजिक और तीसरा राष्ट्रहित के। हमारे देश में 1962 में नानावटी केस के बाद ज्यूरी सिस्टम समाप्त हुआ । जनहित याचिका के माध्यम से परिणाम आए है। उन्होंने एम सी मेहता केस का उदाहरण देते हुए कहा कि इस मामले के कारण ही देश में वन बचा, पर्यावरण के नए कानून बने, महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा विशाखा केस के कारण मिलना संभव हो सकी।
दूसरे देशों में सुप्रीम कोर्ट के जज साल भर में सुनते हैं सो केस तो भारत में 1 दिन में
देश में न्यायालय में लंबित मुकदमों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दूसरें देश में सुप्रीम कोर्ट का जज 1 साल में 8 से 100 केस सुनता है जबकि हमारे देश में हर दिन सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा 20 से 100 केस सुने जाते हैं । न्यायालय पर आम आदमी की आस्था और विश्वास है । ऐसे में न्याय की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह ज्यादा से ज्यादा काम करें। दूसरे देशों में हजारों नागरिकों पर एक जज है जबकि हमारे देश में एक लाख से ज्यादा नागरिकों पर एक जज है। हमें यह सोचना होगा कि जल्दी से जल्दी न्याय कैसे हो ?
मेडिएशन से होगी मामलों के निपटारे में आसानी
उन्होंने कहा कि मेडिएशन के माध्यम से मामलों का निपटारा आसानी से किया जा सकता है। न्यायालय पर लंबित मामलों में से कम से कम 10% केस इस माध्यम से सुलझाए जा सकते हैं। अभी मेडिएशन के आधार पर केस सुलझाने की कोई वैधानिक प्रक्रिया हमारे देश में नहीं है। फॉरेन कंट्री में इस तरह की व्यवस्था काफी अधिक सफल है। हमारे देश में भी मेडिएशन बिल आने वाला है । हमें रविंद्र नाथ टैगोर की मंशा के अनुसार न्यायपालिका में तकनीक को शामिल करना होगा। इस मंशा के अनुसार ही ई कोर्ट की व्यवस्था लागू हुई। इस समय पूरे देश में मध्यप्रदेश की कोर्ट संचालन में नंबर 1 पर है। हम सभी को मिलकर नागरिकों के आस्था और विश्वास को कायम रखने के लिए काम करना होगा।
अतिथि को भेंट किया स्मृति चिह्न हिमाचल के पूर्व राज्यपाल
कार्यक्रम के अंत में अतिथि को स्मृति चिह्न हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल वीएस कोकजे ने भेंट किया। अभ्यास मंडल के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुनील माकोड़े का शाल – श्रीफल से सम्मान किया गया। संचालन अशोक कोठारी ने किया। आभार अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने माना।