सामाजिक सरोकार : सिखवाल समाज में शिक्षा क्रांति की हुई थी शुरुआत
⚫ 15 वां स्थापना दिवस आज
✍️ सतीश त्रिपाठी, एडवोकेट की कलम से
रतलाम, 30 जून। श्री सकल सिखवाल ब्राह्मण समाज रतलाम के इतिहास में 30 जून का विशेष महत्व है । आज ही के दिन वर्ष 2008 में शिक्षा की ज्योत के रूप में श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ की मशाल प्रवाहमान हुई जो निरंतर चल रही है।
शुरुआत आसान नहीं थी, लेकिन समय ने आसान बनाया और आज नगर की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था के रूप में विद्यापीठ स्थापित है। विद्यापीठ में अनेक शिक्षाविदों का आगमन हुआ। जिन्होंने अपने विचारों से वातावरण को सकारात्मक बनाया। स्थापना की असल शुरुआत 27 नवंबर 2007 को ब्राह्मणवास स्थित श्री चारभुजा नाथ मंदिर पर हुई । जब मुझ लेखक सहित तीन अन्य साथियों (स्व. घनश्याम पंड्या, रमेश उपाध्याय व पंकज व्यास) द्वारा श्री सिखवाल समाज देवस्थान न्यास को लिखित में विद्यालय संचालन का प्रस्ताव दिया गया। इसके बाद अनेक बैठकों का दौर चला।
शुरुआत का सफर
प्रत्येक माह में दो बैठक न्यास मंडल की स्कूल संचालन को लेकर हुआ करती थी। शिक्षा विभाग में मान्यता का आवेदन मार्च के पहले प्रस्तुत करना था। इसलिए मुझ लेखक द्वारा आवेदन प्रस्तुत कर विद्यापीठ संचालन की मान्यता ली गई। इसके बाद सहमति बनने पर मान्यता न्यास को सौंप दी गई। फिर न्यास मंडल द्वारा वरिष्ठ न्यासी कन्हैयालाल तिवारी की अध्यक्षता में विद्यापीठ संचालन समिति का गठन कर 30 जून 2008 को शुभ दिवस पर श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ की स्थापना हुई। अनेक पड़ाव को पार करते हुए विद्यापीठ शिक्षा के क्षेत्र में प्रगतिशील है। आज 15 वां स्थापना दिवस पर समाजजन को बहुत-बहुत बधाई।
स्थापना दिवस पर प्रतिवर्ष प्रोत्साहन पुरस्कार
विद्यापीठ के स्थापना दिवस पर वर्ष 2010 से निरंतर श्री सिखवाल समाज देवस्थान न्यास द्वारा समाज की कक्षा पहली से स्नातकोत्तर तक की कक्षाओं के उत्तीर्ण विद्यार्थियों को ( कोरोना कॉल छोड़कर ) पुरस्कृत किया जाता रहा है। समाज के सैकड़ों विद्यार्थियों को अब तक पुरस्कृत किया जा चुका है।