बजा चुनावी बिगुल : पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की हुई घोषणा, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होगा मतदान

मध्य प्रदेश में होंगे एक चरण में चुनाव

⚫ 3 दिसंबर में होगी मतगणना

चुनावी बिगुल बजने के साथ ही आचार संहिता लागू

हरमुद्दा
सोमवार , 9 अक्टूबर। आखिरकार सोमवार को केंद्रीय चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन आयोग राजीव कुमार ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव करने की घोषणा कर दी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होंगे। मध्य प्रदेश में के चरणों में 17 नवंबर को मतदान होगा। मतगणना 3 दिसंबर को होगी। चुनावी बिगुल बजने के साथ ही पांच राज्यों में आचार संहिता लागू हो गई है।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार

चुनावों की तारीख़ों का ऐलान

⚫ मिज़ोरम- 7 नवंबर

⚫ छत्तीसगढ़ 2 फ़ेज़- 7 नवंबर, 17 नवंबर

⚫ मध्यप्रदेश- 17 नवंबर

⚫ राजस्थान- 23 नवंबर

⚫ तेलंगाना- 30 नवंबर

मतगणना 5 राज्यों की 3 दिसंबर को

मप्र की अगर बात करें तो यहां पिछले चुनावों की तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही टक्कर है। इसके अलावा बसपा, सपा, ‘आप’, एनसीपी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसे दल भी चुनावी मैदान में होंगे। भाजपा यहां 18 साल से सत्ता में है, लेकिन प्रदेश में सत्ताविरोधी लहर है, यह कहना मुश्किल है। इन चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान सियासी पंडित लगा रहे हैं।

कांग्रेस के बागी विधायकों ने बिगाड़ दिया था खेल

प्रदेश के सियासी परिदृश्य पर नजर डालें तो मप्र में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं और वर्ष 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 114 सीटें हासिल कर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और 15 साल के अंतराल के बाद उसने कमल नाथ के नेतृत्व में प्रदेश में सरकार बनाई थी। लेकिन उनकी यह सरकार महज सवा साल में ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के 22 विधायकों के बागी हो जाने के कारण गिर गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके समर्थक नेता भाजपा में चले गए और भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व में फिर सरकार बनाई।

18 साल से सत्ता में है भाजपा सरकार

भाजपा 18 साल से सत्ता में है और ऐसे में प्रदेश के मतदाताओं में छह माह पहले तक शिवराज सरकार के प्रति मोहभंग की स्थिति दिख रही थी, लेकिन लाड़ली बहना योजना, आदिवासियों के लिए पेसा अधिनियम और बेघर, निराश्रित गरीबों के लिए मुख्यमंत्री भू-अधिकार योजना, लाड़ली बहनों के लिए 450 रुपये में गैस सिलेंडर जैसी योजनाएं लाकर शिवराज सिंह चौहान काफी हद तक मतदाताओं की बेरुखी को शांत करते लग रहे हैं। ये योजनाएं भाजपा के लिए इन चुनावों में गेमचेंजर साबित हो सकती हैं।

कांग्रेस को वचन पत्र पर भरोसा

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने के बाद कांग्रेस प्रदेश में कमल नाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के भरोसे है। पार्टी ने अधिकृत तौर पर मुख्यमंत्री का चेहरा तो घोषित नहीं किया है, लेकिन वह कमल नाथ की अगुआई में ही चुनाव लड़ रही है। वहीं दिग्विजय सिंह परदे के पीछे रहते हुए पार्टी की चुनावी रणनीतियों को धार देने में जुटे हैं। पार्टी ने इस बार महिला, युवा, किसान, अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए अलग-अलग वचन पत्र तैयार किए गए हैं। पार्टी ने लाड़ली बहना योजना की काट के तौर पर महिलाओं से वादा किया कि सत्ता में आने पर महिलाओं को 1500 रुपये मासिक देगी। इसके साथ ही कांग्रेस ने सत्ता में आने पर 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने का वादा भी किया। हालांकि सीएम शिवराज ने लाड़ली बहनों को धीरे-धीरे राशि बढ़ाकर 3000 रुपये मासिक तक ले जाने और लाड़ली बहना व उज्ज्वला योजना के हितग्राहियों को 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की घोषणा कर कांग्रेस के इन वादों को भोथरा कर दिया। इसे देखते हुए कांग्रेस अब नवरात्र में कांग्रेस वचन पत्र लाने जा रही है। पहली बार महिलाओं के लिए अलग से प्रियदर्शिनी नाम से वचन पत्र बनाया गया है। जाति आधारित गणना, अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण, युवा प्रोत्साहन योजना, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना की बहाली, अनुसूचित जाति-जनजाति सहित सभी वर्गों के लिए स्वरोजगार योजना लागू करने का वचन पार्टी देगी। साथ ही भाजपा सरकार में अनियमितताओं के जो प्रकरण सामने आए हैं, उनकी जांच करने का वादा भी जनता से किया जाएगा।

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