धर्म संस्कृति : बुरा करके बुरा नहीं लगे, तो समझ लेना बुराई आदत बन गई
⚫ आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ छोटू भाई की बगीची मे प्रवचन
⚫ गुरुवार से मनेगा गुरु सप्ताह महोत्सव
हरमुद्दा
रतलाम,10 अक्टूबर। बुराईयों को कभी अपने स्वभाव का हिस्सा मत बनने दीजिए। बुराई हमेशा अनुकरणशीलता से पनपती है। यदि अनुकरणशीलता में जीते है, तो फिर बुराई आदत बन जाती है। आदत बनने के बाद बुराई से व्यक्ति बच नहीं पाता। इसकी पहचान यही है कि बुरा करके भी यदि बुरा नहीं लगे, तो समझ लीजिए कि बुराई हमारी आदत बन गई है।
यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में उपस्थित धर्मालुजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बुराईयां वर्तमान में जीवन का अभिन्न हिस्सा बनती जा रही है। महापुरूषों ने कहा कि कि भूल से कोई बुरा काम हो, तो कोई बात नहीं, क्योंकि भूल मानवीय स्वभाव होता है। बुरा काम करके व्यक्ति यदि अपने आप को दण्ड देगा, तो वह कभी उसकी आदत नहीं बनेगी। लेकिन यदि बुराई को जारी रखा, तो एक ना एक दिन वह आदत बन ही जाएगी।
उन्होंने कहा कि कर्मों के खेल निराले होते है, लेकिन आदतों के खेल इससे भी ज्यादा निराले है। आदतों के खेल के सभी खिलाडी होते है, कर्माे का हिसाब तो बाद में होता है, लेकिन आदतों का हिसाब तत्काल होता है। इनसे बचना चाहिए। वर्तमान में लोग गुटका, पाउच, तम्बाकू आदि के सेवन को बुरा नहीं मानते और आदत बना लेते है,लेकिन उसके दुष्परिणाम जब सामने आते है, तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहते।
संकल्प का नहीं होता कोई विकल्प
आचार्यश्री ने कहा कि बुराईयों से बचने का एकमात्र मार्ग संकल्प है, क्योंकि संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। हर व्यक्ति को संकल्प लेकर बुराईयों से बचने का प्रयास करना चाहिए। उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने इससे पूर्व पाप से बचने की सीख दी। उन्होंने कहा कि सबकुछ हमारे मन पर निर्भर होता है, यदि मन मान लेगा कि कोई कार्य पाप है, तो उसे कभी नहीं करेगा। इसलिए मन को मजबूत बनाओ। इस अवसर पर महासती श्री इन्दुप्रभाजी मसा ने 22 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।
गुरुवार से मनेगा गुरु सप्ताह महोत्सव
श्री हुक्म गच्छीय साधुमार्गी शांत-क्रांति जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में 12 से 18 अक्टूबर तक गुरू सप्ताह महोत्सव मनाया जाएगा। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा के 65 वे जन्म दिवस एवं साधुश्रेष्ठ श्री पारस मुनिजी मसा तथा मुनिश्रेष्ठ श्री प्रेममुनि जी मसा के 58 वे दीक्षा महोत्सव के उपलक्ष्य में इस दौरान विविध आयोजन होंगे। 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय जाप दिवस मनाकर इसकी शुरूवात होगी और 18 अक्टूबर को आचार्यश्री के जन्म दिवस पर सामायिक एवं एकाशना दिवस से समापन होगा। 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय आराधना दिवस, 14 को राष्ट्रीय दया वं संवर दिवस, 15 को राष्ट्रीय अनुकम्पा दिवस, 16 को राष्ट्रीय स्वाध्याय दिवस एवं 17 अक्टूबर को प्रेरणा की पहल का आयोजन होगा। अभा साधुमार्गी शांतक्रांति जैन युवा संघ ने समाजजनों से अधिक से अधिक सहभागिता करने का आह्वान किया है।