शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का साया : 16 कलाओं से परिपूर्ण चांद पर लगेगा शनिवार को ग्रहण
⚫ शरद पूर्णिमा पर पृथ्वी के सबसे निकट होता है चांद
⚫ भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एशिया, हिंद महासागर, अटलांटिक, दक्षिणी प्रशांत महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा ग्रहण
⚫ ग्रहण का वेद शुरू होगा दोपहर 1:13 से
⚫ रात को 1:13 पर ग्रहण का शुरू होगा स्पर्श
⚫ श्री लक्ष्मी जी शरद पूर्णिमा की रात को करती हैं पृथ्वी पर भ्रमण
हरमुद्दा
शुक्रवार 27 अक्टूबर। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शनिवार शरद पूर्णिमा को है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस रात को श्री लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को ही चंद्रमा पृथ्वी से सबसे ज्यादा निकट रहता है। इस चंद्र ग्रहण को भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एशिया, हिंद महासागर, अटलांटिक, दक्षिणी प्रशांत महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा।
ज्योतिर्विद पंडित दुर्गाशंकर ओझा ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण भारत में 29 अक्टूबर की रात 01 बजकर 33 मिनट से शुरू होगा जो रात के 2 बजकर 25 मिनट पर तक चलेगा। इस चंद्र ग्रहण का वेद काल ग्रहण के 1 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा।
वेद, सूतक और सुआ
श्री ओझा ने बताया कि ग्रहण का सूतक नहीं होता है। लोग समझते नहीं हैं। उनको समझना होगा। जानना होगा। सूतक मृत्यु के लिए लगता है और ग्रहण के लिए वेद लगता है। बच्चे के जन्म पर सुआ लगता है। इन तीनों ही काल में पूजन पाठ निषिद्ध माना गया है। ग्रहण का वेद में 9 से 12 घंटे पहले से पूजन पाठ की मनाही होती है। वही सूतक और सुआ तीन से 10 दिन तक पूजन पाठ नहीं होता है। यहां तक की मंदिर में जाकर देव दर्शन भी नहीं करते हैं।
शरद पूर्णिमा को कहते हैं कोजागरी पूर्णिमा भी
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवी श्री लक्ष्मी की पूजा और खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखने का खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी श्री लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि शरद पूर्णिमा पर कौन जाग रहा है। इस कारण से शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शरद पूर्णिमा पर ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: के मंत्रों का जाप करें।
ग्रहण वेद के पहले कर ले पूजन पाठ
शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा और खुले आसमान के नीचे खीर रखने और फिर उसे अगली सुबह खाने का विशेष महत्व होता है। लेकिन बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा ऐसे में चंद्र ग्रहण का वेद शुरू होने से पहले पूजा-पाठ जरूर कर लेना चाहिए। ग्रहण की समाप्ति के बाद दान-पुण्य करे। ग्रहण के दौरान या वेद काल में घर में बैठकर आप भगवान के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
ग्रहण के बाद बनाएं खीर और लगाएं भोग
मान्यता के अनुसार, इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणों से अमृत की वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने और उसे चांद की रोशनी में रखने से कई तरह के औषधि गुण आ जाते हैं लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी लगेगा। इस वजह से ग्रहण की समाप्ति के बाद खीर बनाना ज्यादा शुभ रहेगा। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण और वेद काल के दौरान न तो भोजन बनाया जाता है और न ही खाया जाता है। ग्रहण के दौरान खाने की सभी वस्तुओं में कुश या तुलसी के पत्ते जरूर डालें। इससे खाद्य सामग्री दूषित होने से बचती है।