कोर्ट का फैसला : 70 वर्षीय फर्जी डॉक्टर कैलाशचंद्र रावल सलाखों के पीछे, आयुर्वेद अधिनियम के तहत कार्रवाई
⚫ एलोपैथी दवाई से कर रहा था उपचार
⚫ दल ने पकड़ा मौके से
⚫ पुलिस में कार्रवाई, रिपोर्ट दर्ज
⚫ मामला करीब साढ़े 6 साल पुराना
हरमुद्दा
रतलाम /जावरा, 21 नवंबर। कोर्ट ने फैसला देते हुए 70 वर्षीय फर्जी डॉक्टर कैलाशचंद पिता मोहनलाल रावल को एक वर्ष सश्रम कारावास व 1000 रुपयें अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित शर्मा जावरा, जिला रतलाम ने यह फैसला धारा 24 म.प्र. आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 के तहत दिया गया। आरोपी चिकित्सक एलोपैथी विधि से उपचार कर रहा था, जबकि उसे इस तरह उपचार करने की पात्रता नहीं थी।
जिला अभियोजन अधिकारी जी.पी.घाटिया ने हरमुद्दा को बताया गया कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी सिविल हॉस्पीटल, जावरा डॉ. दिनेश पाटीदार ने 12 अप्रैल 2017 को द्वारा आदेश दिया कि फर्जी डॉक्टरो की जांच के लिए दल के साथ जाए। तब तहसीलदार के.पी. हलवाई, आई.एस आई ऋतुराज सिंह के साथ हाटपिपल्या पहुंचे। जहां कैलाशचन्द्र रावल, निवासी- हाटपिपल्या अपने क्लीनिक पर एलोपैथी दवाईयों से लोगों का ईलाज करते पाए गए। उनके पास कोई वैध डिग्री नहीं होने से मौके पर दल ने उनके क्लीनिक का पंचनामा बनाया। क्लीनिक से दवाई जब्त कर उनकी सूची बनाई व क्लीनिक सील किया।
कार्रवाई के लिए दिया आवेदन
फर्जी डॉक्टर के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए पुलिस चौकी हाटपिपल्या पर आवेदन दिया था। आरोपी रावल के विरूद्ध अपराध धारा 24 म.प्र. आयुर्वेदिक अधिनियम का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना में आरोपी के विरुद्ध अपराध धारा 24 म.प्र. आयुर्वेदिक परिषद अधिनियम का अपराध मिला। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। साक्ष और विवेचन के आधार पर न्यायाधीश ने सजा का फैसला सुनाया। प्रकरण में पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी भूपेंद्र कुमार सांगते ने की।