स्मार्ट फोन वितरण मामले में विधायक काश्यप के सवाल पर भारी हंगामें के बीच दो बार स्थगित हुई विधानसभा

हरमुद्दा

रतलाम, 18 जुलाई। प्रदेश के महाविद्यालयीन छात्रों को पिछले तीन सालों से स्मार्ट फोन वितरित नहीं होने से संबंधित विधायक चेतन्य काश्यप के सवाल का उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी द्वारा स्पष्ट और समाधानकारक जवाब नहीं देने के कारण राज्य विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। अध्यक्ष एनपी प्रजापति को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी।पहली बार पांच मिनट के लिए और दूसरी बार समूचे प्रश्नकाल के लिए।
श्री काश्यप ने पूछा था कि पिछले तीन सत्रों 17-18, 18-19 और 19-20 से कॉलेज छात्रों को स्मार्ट फोनों का वितरण क्यों नहीं हो रहा है? क्या सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया है? यदि नहीं तो छात्रों को स्मार्ट फोनों का वितरण कब तक कर दिया जायेगा? साथ ही विधायक महोदय ने यह भी पूछा था कि क्या गुणवत्ता विहीन फोनों के वितरण संबंधी शिकायतों की जांच कराई गई है? यदि जांच कराई गई है तो उसके निष्कर्ष क्या है और दोषियों के विरूद्ध सरकार ने क्या कार्रवाई की? विधायक का कहना था कि कॉलेज छात्रों में तकनीकी ज्ञान बढ़ाने और उन्हें इंटरनेट की नई प्रौद्योगिकी में निपुण बनाने के उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ की गई है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने माना बंद है स्मार्ट फोन वितरण
उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने जवाब में स्वीकार किया कि छात्रों को फोनों का वितरण बंद है। सरकार ने योजना को बंद नहीं किया है। वह इससे अच्छी योजना लाने पर विचार कर रही है। दो-दो हजार रूपयों के फोन दिए गए। दो हजार में कोई स्मार्ट फोन नहीं आता । सरकार इसमें सुधार कर छात्रों को अच्छी गुणवत्ता वाले फोन अथवा लेपटॉप उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। इसलिये अभी यह बताना संभव नहीं है कि स्मार्ट फोनों का वितरण कब तक हो जायेगा? उन्होनें कहा कि दरअसल योजना का उद्देश्य राजनीतिक हित साधना था, इसलिए सस्ते और घटिया फोनों का वितरण हुआ। इसकी जांच भी कराई गई थी लेकिन उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी होना नहीं पाया गया।

मुझे तो श्री काश्यप की अध्यक्षता में जांच कराने में भी आपत्ति नहीं
उन्होनें कहा कि श्री काश्यप अच्छे विधायक है, जागरूक विधायक है। उनकी भावनाओं के अनुरूप सरकार ने स्मार्ट फोन वितरण योजना में हुई गड़बड़ियों की फिर से जांच कराने का निश्चय किया है। मुझे तो श्री काश्यप की अध्यक्षता में जांच कराने में भी आपत्ति नहीं है।

चाहिए स्पष्ट जवाब
मंत्री के इस जवाब से श्री काश्यप सहित कई विधायकों ने ऐतराज किया। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी आपत्ति की। उन्होनें कहा कि मंत्री जी शौक से जांच कराए, पर जवाब स्पष्ट दे, गोलमाल जवाब नहीं दें। उन्हें हां या ना में स्पष्ट जवाब देना चाहिए कि वे फोन बांटेंगे या नहीं। क्या योजना बंद कर दी गई है? सवाल का स्पष्ट और सही उत्तर दिलाना नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनका दायित्व है। इसलिए मंत्री को हां या ना में स्पष्ट जवाब देना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री की इस टिप्पणी पर नाराजी व्यक्त की कि पिछली सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिये फोन बांटे।

जब मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष की दलील को भी नकारा 

मंत्री ने कहा कि वे हां या ना में जवाब देने के लिए बाध्य नहीं है। जवाब देना अथवा नहीं देना मंत्री का अधिकार है। उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता। मंत्री के इस वक्तव्य के बाद सदन में हंगामें की स्थिति बन गई। प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष के अनेक सदस्य एक साथ खड़े होकर तर्क-वितर्क कर हंगामा करने लगे। इस पर अध्यक्ष ने पहले पांच मिनट के लिये और दूसरी बार 12 बजे तक (पूरे प्रश्नकाल के लिये) सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी।

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