डेंगू से बचाव ही इसका है उपचार, हुई अंतर्विभागीय कार्यशाला

हरमुद्दा
नीमच, 22 जुलाई। डेंगू बुखार एक आम संचारी रोग है और डेंगू बुखार का कोई उपचार नहीं है। डेंगू से बचाव ही इसका उपचार है। डेंगू बुखार मादा एड़ीज मच्छर के काटने से होता है। संक्रमित मच्छर द्वारा डेंगू के डेन नामक वायरस को स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में छोड़ देता हैं और 2 से 7 दिन में तेज बुखार,सिरदर्द मॉसपेशियों एवं जोड़ो में दर्द, ऑंखों के आसपास दर्द खसरा के जैसे चकते, दाने छाती और दोनो हाथों में हो सकते है।
यह बात जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. सरिता सिंधारे ने बताई। डॉ. सिंधारे जिला स्तरीय अंतर्विभागीय समन्वय कार्यशाला में मौजूद थीं। कार्यशाला कलेक्टर अजय सिह गंगवार एवं जिले के सभी विभाग प्रमुखों की उपस्थिति में हुई।

जिला चिकित्सालय में निःशुल्क जांच
कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. सिंधारे
ने बताया कि डेंगू की गंभीर अवस्था में नाक मसूड़ो पेट तथा आत से खून का रिसाव होना आदि इस प्रकार लक्षण दिखाई देने पर शासकीय अस्पताल, स्वास्थ्य संस्था में जाकर डॉक्टर से परामर्श लेवे । डेंगू की एनएस-1 एलाइजा एवं आईजीएम जांच जिला चिकित्सालय नीमच में निशुल्क उपलब्ध की जाती है।

ध्यान रखें कौन सी दवाई लेना
मरीज को सेलीलिसेट,एस्प्रिन अथवा अन्य दर्द निवारक दवाई नहीं दें। मरीज को पेरासिटामोल गोली दी जा सकती है। डेंगू बुखार होने पर मरीज को पसीना उल्टी अथवा दस्त में डी हाईड्रेसन न हो इसके लिए प्र्याप्त मात्रा में पेय जैसे ज्युस चावल का पानी ओ.आर.एस. का घोल आदि लेना चाहिये, मरीज को आराम करना चाहिये तथा मच्छर दानी के अन्दर ही सोना चाहिए।

एडीज मच्छर पैदा होते है यहां
छत पर रखी खुली टंकीया, टुटे बर्तन, मटके,गमले एवं डिस्पोजबल, कप,पोलीथिन में एकत्र जल में बेकार फेके हुए टायरो में एकत्र जल, बिना ढके बर्तनो में रखे जल, किचन, गार्डन में रूका हुआ पानी पशुओं के पानी पिने के स्थान, घरो में रखे हुए फुलदान में जमा पानी, हेण्ड पंप एवं कूए के आसपास जमा पानी में आदि मच्‍छर पैदा में होते हैं।

बचाव के लिए करें उपाय
सभी विभाग प्रमुखों से आग्रह किया गया, कि वे अपने कार्यालयों एवं उनके अधिनस्थ जिले के सभी कार्यालय परिसरों में प्रत्येक सोमवार को ये कार्यवाही करें । घरों, परिसरो के आसपास कंटेनरो में पानी 5 से 7 दिन जमा न होने दें। कूलर तथा पानी के बड़े बर्तन की सप्ताह में एक बार सफाई अवस्य करें। बरसात का पानी या पूराने टायर टूटे फूटे बर्तन इत्यादि में पानी जमा न होने दें । सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें । शाम को नीम की पत्तियों का धुआ करें । पानी से भरी टंकीयां एवं कंटेनरो को ढक कर रखें । पुरी बाह के कपड़े पहने एवं मच्छर रोधी रिपलेंट क्रिम का प्रयोग करें । घरो एवं शासकीय भवनो की खिड़कियों में मच्छर जालिया लगवाएं।

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