वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे जब माँ थीं प्रवास पर... -

जब माँ थीं प्रवास पर

🔲 डॉ. कविता सूर्यवंशी

🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲

 

माँ जब घर में नहीं होती
पूरा घर मानों
गुमसुम उदास मायूस सा
मुँह बना कर
देखता रहता है
हमारी ओर
घर का हर एक सामान
मानों हर वक्त पूछता हो
माँ कब आएगीं..?
हमें सहेजने, समेटने, दुलार करने वाली माँ

IMG_20191219_133317-300x220
कब आएगीं..?
घर के मंदिर की हर फोटो,
हर मूर्ति का भगवान कहता है
सच माँ के बिना घर बहुत सुना-सुना रहता है
जब माँ घर पर रहतीं हैं
पापा बिल्कुल बेफिक्र रहते हैं
सारी जिम्मेदारियाँ माँ के सिर रख कहते हैं
तुम्हारी गृहस्थी में मुझे उलझाया ना करो
यह सब तुम ही निबटाया करो
माँ के नहीं रहने पर
हर बात की फिक्र करते हैं
तुम कैसे सब कर लेती हो..?
मन ही मन तुमसे कहते हैं,
घर के दरवाजे पर रोज गाय भी आतीं हैं
बहुत देर खड़ी रहतीं हैं
रोटी भी खातीं हैं
पर वह भी जैसे खड़ी-खड़ी
यही विचार करतीं हैं
बहुत दिन हुए माँ नहीं आई
पीठ मेरी नहीं सहलाई
अब तू आजा जल्दी माई
घर की छत पर ढेर सारी गिलहरियाँ
रोज इंतजार करती हैं तुम्हारा
प्यार से रोटी खिलाने वाली
हमें टुकुर-टुकुर प्यार से देखने वाली
माँ..! कहाँ हो तुम जल्दी आओ ना
चिड़िया, कबूतर, कौए भी
पूछते हैं मुझसे
हमको बुला-बुला कर दाना पानी देने वाली
प्यारी माँ .! कहाँ हो तुम..?
गली के कई सारे कुत्ते
दरवाजा खुलते ही लपकते हैं
आस भरी नज़रों से
टकटकी लगाए
निहारते रहते हैं घर की ओर
सुबह शाम दूध रोटी देने वाली
हम सब को अलग-अलग नाम से
पुकारने वाली माँ.. कहाँ हो तुम..?
बहुत दिनों से हमने तुम्हारे पैर नहीं चाटे
और नहीं तुम्हारी साड़ी का पल्ला खींचा प्यार से
माँ.! तुलसी मैया भी धीरे से
मेरे दुपट्टे में उलझ कर पूछती हो जैसे
माँ कब आएगी..?
कब वो मुझ पर जल चढ़ाएगीं
और कब अपने हाथों से दीया लगाएगीं
घर की रसोई हर बार
तुम्हारे ना होने का अहसास करवाती है
खाना तो वैसे बन ही जाता है
पर माँ.! स्वाद बिल्कुल नहीं आता है
दिल की बात तुम ही से कहते हैं सब
माँ…! सबका दिल भर जाता है
रूंध जाता है गला,
आँखों से बहता है गर्म जल
माँ जल्दी आओ प्रवास से तुम
पूरी तरह स्वस्थ होकर…

IMG_20200510_113955

🔲 डॉ. कविता सूर्यवंशी, रतलाम (म.प्र.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *