डेंगू इफेक्ट : … और उन्हें चिकनी चुपड़ी बातों में उलझा कर थपथपा ली थी अपनी पीठ
काँरवा गुजर गया गुबार देखते रहे…
डेंगू से निपटने के लिए गणेश चतुर्थी पर अभियान का श्रीगणेश
अनिल पांचाल
रतलाम, 10 सितंबर। वायरल,डेंगू और रहस्यमयी बुखार सिर चढ़ कर बोलने लगा तो हर तरफ रोकथाम के प्रयास शुरु होने लगे है। आज जब लोग भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाएं अपने घरों, दुकानों और सार्वजनिक पांडालों में स्थापित कर रहे थे, उसी दौरान नगर निगम में निगम और चिकित्सा प्रशासन डेंगू की रोकथाम के प्रयासों का श्रीगणेश करते हुए एक बैठक कर रहा था। बैठक में लार्वा की रोकथाम पर फोकस रहा। मुद्दे की बात तो यह है कि फिर वही छिडक़ाव के लिए दवाइयों की खरीदारी वगैरह-वगैरह.. का काम थोड़े दिन चलेगा। ये काम डेंगू और वायरल की शुरुआत में होना थे, मगर हम बर्बादी का मंजर यू ही देखते रहे और काँरवा गुजर गया, गुबार देखते रहे।
उधर कोविड की पहली और दूसरी लहर में छिपे नेता जब डेंगू के फैलाव के दौरान भी दुबके रहे तो इन्हे बाहर निकालने का प्रयास करते हुए रविवार को एक बैठक इनके साथ भी की जाएगी। इन्हे डेंगू के फैलाव के तरीके, लक्षण और उपचार आदि की जानकारी दी जाकर आह्वान किया जाएगा, वे भी डेंंगू उन्मूलन के अपने अपने इलाके में अपने स्तर से लोगों को जागरुक करे। हांलाकि ये बैठक भी सुझाव वाली कम होकर समस्या बताओं वाली ज्यादा रहेगी। कोई डेंगू का जन्मदाता सफाई को बताएगा तो कोई सडक़ों के गड्ढों पर लट्ठ चलाएगां।
छप्पर फाड़ धनवर्षा वाला साबित हो रहा उन सब के लिए
इन दिनों डेंगू से जुड़े कुछ मामले ऐसे भी आए है जिसमें व्यक्ति या बच्चों को सर्दी, खासी, बुखार या शरीर में दर्द नहीं होता है और प्लेटलेट कम होते जा रहे है। ऐसे में इसे रहस्यमयी बीमारी भी माना जा रहा है। हर तरफ के अस्पतालों में भीड़ भाड़ है यानि कोविड के बाद वायरल और डेंगू का मौसम चिकित्सकों और दवाई व्यापारियों के लिए छप्पर फाड़ धनवर्षा वाला साबित हो रहा है। कौन सी दवाईयां कितने में दी जा रही है इनकी बिल रोगी या उसके परिजनों को दिए जा रहे है या नही ? इस तरह की जांच करने वाला विभाग स्वयं डेंगू पीडि़त नजर आ रहा है।
तब उन्हें कहा था कि उन्मूलन में सर्वश्रेष्ठ रतलाम
रतलाम शहर सहित जिले के अलग अलग हिस्सों में डेंगू, मलेरिया, वायरल की शुरुआत जून माह उस समय हो चुकी थी जब डॉ. हिमांशु जायसवाल राज्य कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया) की प्रगति की समीक्षा करने रतलाम आए थे। इस बैठक के दौरान उन्हे आसमानी-सुलतानी तारे दिखाए गए और ये भरोसा दिला दिया गया कि रतलाम जिला पूरे प्रदेश में मलेरिया, डेंगू, वायरल उन्मूलन में सर्वश्रेष्ठ स्थान है। यहां चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों की चिकनी-चुपड़ी बातों पर डाँ.हिमांशु भी भरोसा कर गए और उन्होने यहां की प्रगति पर संतोष जाहिर करते हुए उन सब की पीठ थपथपा दी जिन्होने आंकड़ों की बाजीगरी दिखा कर खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की चाल चली थी।
किया था जिम्मेदारों को सतर्क
बैठक में चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों को डाँ.हिमांशु ने निर्देश दिए थे कि मलेरिया,डेंगू की रोकथाम के लिए प्रत्येक मरीज के बुखार की जॉच की जाए, एक्टिव और पेसिव दोनों प्रकार के सर्विलेंस पर ध्यान केन्द्रित करें। संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर सभी पूर्व तैयारियां कर ली जाए । किसी भी प्रकार का आउटब्रेक होने की स्थति से बचाव के लिए सूचना तंत्र मजबूत रखें। माईक्रोस्कोप एवं अन्य उपकरणों की कमी होने की दशा में मांग पत्र प्रस्तुत करें।
तो बचाया जा सकता था शहर की जनता को डेंगू से
तीन माह पूर्व दिए गए उक्त निर्देशों का पालन बैठक के दूसरे दिन से शुरू हो जाता तो आज जनता को इस तरह की बीमारियों के कहर से बचाया जा सकता था। जिला प्रशासन के मुखिया भी चिकित्सा विभाग को सतर्क रहने की हिदायत अनेको मर्तबा दे चुके है… किन्तु हर तरफ ला पिला दे शाकिया, पैमाना-पैमाने के बाद और काम की बाते करूँगा होश में आने के बाद . . . वाली स्थिति है। ऐसे में रायता फैलना तय था और अब रायता इतना फैल गया है कि उसे समेटना सभी के लिए भारी हो रहा है। अब ले दे कर बची गरीब की गाय नगर निगम.. और डेंगू, वायरल मलेरिया आदि के नाम का बिल यही से फटेगा।