धर्म संस्कृति : मन, वचन और काया से नुकसान नहीं करे, वहीं भव्य आत्मा
⚫ श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में हुए प्रवचन में प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी मसा ने कहा
हरमुद्दा
रतलाम, 29 अप्रैल। सागर के दो गुण होते है, एक वह बहुत गहरा होता है और दूसरा वह कभी किसी का नुकसान नहीं करता। महापुरूष और भव्य आत्माएं भी ऐसी होती है, वे सारी अच्छाईयों को पचाने की ताकत रखती है और कभी किसी का नुकसान नहीं करती है। मन, वचन और काया किसी से भी नुकसान नहीं करे, वहीं भव्य आत्मा है।
यह बात श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी मसा ने कही। नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि मुंबई चारों तरफ से पानी से घिरी हुई है। लेकिन सागर कभी उसका नुकसान नहीं करता। सागर अपनी गहराईयों में अच्छाई रूपी कई हीरे, पन्ने, जवाहरात छुपाकर रखता है और उनका घंमड भी नहीं करता। महापुरूषों का स्वभाव भी ऐसा होता है। वे कई अच्छाईयों से भरे होते है और कुछ बुरा होता है, तो उसका दोष किसी को देने के बजाए अपने कर्म का फल मानते है।
जो भाग्य में होता है वह मिलता है व्यक्ति को
उन्होंने कहा कि जीवन में मनुष्य भव में विषय और कषाय दोनो से बचना चाहिए। व्यक्ति के भाग्य में जो होता है, वहीं उसे मिलता है। किसी का बुरा सोचने वाला कर्मों का बंधन बांधता है। ऐसे कर्माें के बंधन से बचे और कर्मों की निर्झरा का लक्ष्य बनाए। कर्मों की निर्झरा होगी, तभी मोक्ष मिलेगा। प्रवचन के दौरान पंडित रत्न श्री महेन्द्र मुनिजी मसा, श्री दर्शनमुनिजी मसा, श्री अभिनंदन मुनि जी मसा और महासती श्री चंदनबाला जी मसा, श्री रमणीक कुंवर रंजन जी मसा, श्री कल्पनाश्रीजी मसा, श्री चंदना जी मसा, श्री लाभोदया जी मसा, श्री जिज्ञासा जी मसा आदि ठाणा उपस्थित रहे। संचालन रखब चत्तर ने किया।
श्री सौभाग्य तीर्थ जाएंगे प्रवर्तकश्री
श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी आदि ठाणा 30 अप्रैल को नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन के बाद विहार करेंगे। वे रविवार को सागोद रोड स्थित श्री सौभाग्य तीर्थ में प्रवास करेंगे। 1 मई को वहां से विहार कर तेजानगर में संस्कृति अकादमी जाएंगे और 2 मई को वहां से विहार कर रामबाग में तेजपाल गादिया के यहां प्रवास करेंगे। 3 मई को प्रवर्तकश्री स्टेशन रोड जांएगे और 4 मई को रतलाम से जावरा तरफ विहार करेंगे।