धर्म संस्कृति : दुख की हाजरी लेना बंद कर दो, तो हो जाएगा वह खत्म
⚫ आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ छोटू भाई की बगीची में दुख की विवेचना
⚫ द्वेषपूर्वक भोगने से बढेगा अनासक्ति से भोगने पर घटेगा
हरमुद्दा
रतलाम,19 नवंबर। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने रविवार को दुख की विवेचना की। उन्होंने कहा दुख को द्वेषपूर्वक भोगने से वह बढता है, जबकि अनासक्ति पूर्वक भोगने से दुख घटता है। दुख किसी का सगा नहीं होता। दुख की हाजरी लेना बंद कर दो, वह खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा।
छोटू भाई की बगीची में प्रवचन देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि चिंतन की दो शैलियां होती है। एक द्वेष के साथ दुख भोगना और दूसरी अनासक्ति के दुख भोगना। द्वेष स्वयं पाप है और आगत पापोदय है। इनके मिलने से पापानुबन्धी पाप होता है। इसलिए दुख आए, तो अनासक्त रहो। अर्थात ज्ञाता और दृष्टा बनो और यह जानने का प्रयास करे कि दुख आया क्यों है? दुख को तवज्जो नहीं दो अर्थात उसकी हाजरी लेना बंद कर दो, तो खत्म हो जाएगा। जीवन में जब भी दुख आए, तो उसे अनासक्ति के साथ भोगना ही उसका निवारण करता है। हमे किसी भी जीव के प्रति द्वेष नहीं रखने की सीख मिली है, तो हमे दुख के प्रति भी कभी द्वेष नहीं रखना चाहिए।
दुख से भी प्रेम कर बनाए उसे अपना
आचार्यश्री ने कहा कि संसार में जिससे प्रेम करो, वह अपना बन जाता है और जिससे द्वेष रखते है, वह पराया हो जाता है। दुख से भी प्रेम कर उसे अपना बनाना चाहिए। दुख के प्रति सदैव सजग रहो। यदि दुख से प्रेम करेंगे, तो वह कट जाएगा, लेकिन द्वेष किया, तो वह बढता ही जाएगा। वर्तमान में लोग दुख को पालते-पोसते और बढा करते है। इसलिए वह खत्म नहीं होता। दुख से मुक्त होने का एकमात्र मार्ग ज्ञान है। इसका ज्ञान जिसे भी होता है, वह दुख को अनासक्त होकर भोगते हुए आत्म कल्याण कर लेता है।
सहनशील बनना जरूरी
आचार्यश्री ने कहा कि जिसकी आत्मा जागृत होती है, वह सुख में भटकती नहीं और दुख में अटकती नहीं है। वर्तमान में लोग सुख में अटकते और दुख में भटकते है, जबकि दोनो स्थितियों में केवल सजग रहना चाहिए। आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा ने सहनशील बनने पर जोर दिया।
कई श्री संघ ने की विनती होली चातुर्मास की
इस मौके पर विजय नगर, सिकारदा, एवं मंदसौर श्री संघ ने वर्ष 2024 के चातुर्मास एवं होली चातुर्मास की विनती की। प्रवचन में रतलाम श्री संघ द्वारा अभ्युदय चातुर्मास के दौरान सेवा देने वाले कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया। 20 नवंबर को सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा दोपहर 2 बजे बहना तुम जागते रहना विषय पर बहु मंडल को मार्गदर्शन देंगे।