रोमांचक यात्रा : तारे उतरे ज़मीन पर, चंद्रमा आया सूर्य और पृथ्वी के बीच

कन्या शिक्षा परिसर रतलाम की बालिकाओं ने शैक्षणिक भ्रमण में ली वैज्ञानिक सीख

छात्राओं ने किआ सिद्धवट, मंगलनाथ, अंगारेश्वर, जंतर मंतर, इस्कॉन टेंपल, महाकाल मंदिर एवं महाकाल लोक का भ्रमण

हरमुद्दा
रतलाम, 6 जनवरी। आकाश में झिलमिलाते तारे अचानक ज़मीन पर उतरने लगे, ग्रहों के कक्षाओं में घूमते दृश्य आंखों के क़रीब आने लगे और सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चंद्रमा आया तो शासकीय कन्या शिक्षा परिसर रतलाम की बालिकाओं ने विज्ञान के इस दृश्य का जोरदार तालियों के साथ अभिवादन किया।

शैक्षणिक भ्रमण के तहत उज्जैन गई शासकीय कन्या शिक्षा परिसर रतलाम की 63 बालिकाओं ने भ्रमण के दौरान विज्ञान के दृश्यों से सीख ली, अपनी पौराणिक सभ्यता को जाना, अपनी संस्कृति और विद्या अध्ययन की प्राचीन पद्धतियों से भी परिचित हुई। जनजातीय कार्य विभाग की सहायक आयुक्त रंजना सिंह के मार्गदर्शन एवं संस्था प्राचार्य गणतंत्र मेहता के नेतृत्व में शासकीय कन्या शिक्षा परिसर रतलाम की बालिकाओं ने उज्जैन भ्रमण किया।

जिज्ञासा का केंद्र बना जंतर मंतर

महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा 17वीं शताब्दी में स्थापित जीवाजी वेधशाला जंतर मंतर का अवलोकन कर छात्राएं रोमांचित हो गई।  ग्रहों के अध्ययन और मौसम की गतिविधियों के साथ नक्षत्र के प्रभाव की जानकारी देता यह महत्वपूर्ण स्थान बालिकाओं के लिए जिज्ञासा का केंद्र बना। बालिकाओं ने यहां तारामंडल में आकाशीय पिंडों की स्थिति और प्रकृति में उनके द्वारा होने वाले परिवर्तन को जाना। प्रत्येक ग्रह की संरचना, सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की स्थितियां और सूर्य की धूप से समय की पहचान जैसे महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी ली । यहां बालिकाओं ने शंकु यंत्र, सम्राट यंत्र, भित्ति यंत्र, नाड़ी यंत्र और दिगांश यंत्र की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।

शंकु तंत्र को समझा

शंकु यंत्र से उन्होंने समझा कि एक गोलाकार शंकु गोलाकार प्लेटफॉर्म के केंद्र में एक क्षैतिज आकृति में तय होता है। सूक्ति की छाया के अनुसार खींची गई सात पंक्तियाँ बारह राशियों को इंगित करती हैं। इन पंक्तियों के बीच, 22 दिसंबर सबसे छोटा दिन, 21 मार्च और 23 सितंबर दिन और रात को समान बनाता है, और 22 जून साल का सबसे लंबा दिन बनाता है। इसी तरह नाड़ी यंत्र के माध्यम से सूर्य के उत्तरी गोलार्ध और  दक्षिणी गोलार्ध के साथ जाना कि इस यंत्र का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या एक आकाशीय पिंड उत्तरी या दक्षिणी आधे में है। बालिकाओं ने जब दिगांश यंत्र को देखा तो वे किरचॉफ के नियम को समझने लगी । उन्हें पाइथागोरस की प्रमेय भी यहां पर बहुत सामयिक प्रतीत हुई।

यह तो भगवान कृष्ण का शिक्षा परिसर है!

कन्या शिक्षा परिसर रतलाम की बालिकाओं ने जब भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम का अवलोकन किया तो वे सहसा कह उठीं ‘यह तो भगवान कृष्ण का शिक्षा परिसर है!’  उनका यह उत्साह और बढ़ गया जब उन्हें पता चला कि यहां भगवान कृष्ण के साथ बलराम और सुदामा ने भी गुरु सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की थी। उन्हें कृष्ण द्वारा 14 प्रकार की विद्याएं एवं 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त करने की जानकारी दी गई तो बालिकाओं ने 14 विद्याओं के चित्रमय संसार का अवलोकन किया तथा 64 कलाओं को प्रदर्शित करती हुई वीथिका को भी देखा। बालिकाओं ने यहां सीख ली कि भगवान कृष्ण की तरह वे भी अधिक से अधिक विद्या अध्ययन करेंगी और अपने जीवन में विद्या के साथ कला एवं कौशल से भी संपन्न होगी।

रोमांचित हुई बालिकाएं

शैक्षणिक भ्रमण के दौरान बालिकाओं ने उज्जैन के प्रसिद्ध स्थलों का अवलोकन किया एवं शैक्षिक धार्मिक तथा पौराणिक संदर्भों की जानकारी ली। छात्राओं ने सिद्धवट , मंगलनाथ , अंगारेश्वर , जंतर मंतर , इस्कॉन टेंपल , महाकाल मंदिर एवं महाकाल लोक का भ्रमण किया एवं वहां के महत्व को जानकर रोमांचित हुई। भ्रमण के दौरान आशीष दशोत्तर, पंकज मुकाती, गीता चौधरी, मनीषा खराड़ी, प्रेमलता उईके, वीरेंद्र सिंह राठौर, सविता हारी, रश्मि शर्मा, ब्रजलता शर्मा, सोनू गुर्जर, श्वेता पंवार, दीपेश चरपोटा,शोभा कुमावत, निशा शर्मा, बद्रीलाल मालवीय, ममता एवं स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।

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