दिलचस्प सरोकार : श्वान के क्रिया कलाप धार्मिकों को दे रहे मात
⚫ कोई पंडित, कोई पुजारी तो कोई महंत आदि नाम से पुकारते
⚫ कथा भागवत सुनना, अंत्येष्ठी में भाग लेने जैसी आदतें ग्रामीणों में चर्चा का विषय बनी
⚫ नरेंद्र गौड़
शाजापुर, 29 सितंबर। स्थानीय आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर इंदौर की तरफ जाते समय पहला गांव नैनावद आता है, यहां से पांच किलो मीटर दूर दक्षिण दिशा में जाने पर लिम्बोदा गांव और इसी से लगा हुआ लगभग दो हजार की आबादी का गांव साजोद है। इसी साजोद ग्राम में एक श्वान अपने धार्मिक क्रिया कलापों की वजह से साजोद सहित आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह गांव कुलमी पाटीदार बहुल है और अधिकांश लोग खेती तथा पशुपालन के जरिए अपना गुजारा करते हैं। गांव में धार्मिक प्रवृत्ती के इस श्वान का नाम लोगों ने पंडित रख दिया है। यह कुत्ता आम कुत्तों की तरह सामान्य दिखाई देता है, लेकिन इसकी आदतें और सात्विक मनोवृत्ती लोगों को चकित कर रही हैं। गांव में कहीं भी कथा हो, यह श्वान पूरे समय वहीं बैठा रहता है और कथा समापन पर ही उठता है, वहीं अगर सात दिवसीय भागवत कथा है तो यह बिना नागा सातों दिन अपनी उपस्थिति दर्ज कराना नहीं भूलता है।
अस्थि संचय के दौरान भी चल देता है साथ
इसी प्रकार अगर ग्राम में किसी का निधन हो गया तो यह श्वान उस व्यक्ति की अंत्येष्ठी में शामिल होता है और जब तक चिता पूरी तरह नहीं जल जाए, वहीं श्मशान में बैठा रहता है। इतना ही नहीं जब मृतक व्यक्ति के परिजन अस्थि संचय के लिए जाते हैं, उस समय भी यह लोगों के पीछे-पीछे चल देता है।
कोई इसे पंडित, कोई पुजारी तो कोई कहता महंत
ग्राम के अंतरसिंह देवड़ा, अनूपसिंह देवड़ा, रूपसिंह जीजा, मानसिंह देवड़ा, रमेश पाटीदार, इंदरसिंह पाटीदार, सियाराम पाटीदार, विक्रम गंगवाल ने बताया कि विगत सात-आठ सालों से इस श्वान के धार्मिक क्रिया कलाप जारी हैं। एक सवाल के जवाब में ग्रामीणों का कहना था कि मुस्लिमों को छोड़कर मृतक किसी भी अन्य हिंदू जाति का क्यों नहीं हा, यह श्वान उसकी अंत्येष्ठी में जाना नहीं भूलता। ग्रामीणों का कहना था कि उन्हें खुद समझ में नहीं आता कि इसे यह कैसे पता चल जाता है कि फलां घर में किसी का निधन हो गया है या फिर कहीं कथा भागवत का आयोजन है। वैसे इस श्वान का कोई खास नाम नहीं है इसलिए जिसे जो मन आया बोल देता है। कोई इसे पंडित, कोई पुजारी तो कोई महंत आदि नाम से पुकारते हैं।
मंदिर का पुजारी रहा होगा या फिर प्रकांड पंडित
अपनी धार्मिक आदतों के कारण यह श्वान साजोद सहित आसपास के ग्रामीणों में बहुत आदर की दृष्टि से देखा जाता है। किसी का कहना है कि पिछले जन्म में यह अवश्य किसी मंदिर का पुजारी रहा होगा या फिर प्रकांड पंडित।