ग्राम पंथवारी के लगभग 15 आदिवासी परिवार अग्रसर हो रहे हैं जैविक खेती की ओर
🔳 सेहतमंद गुणवत्तायुक्त सब्जियां, गेहूं, मक्का आदि उत्पादित
हरमुद्दा
रतलाम, 9 दिसंबर। जिले के आदिवासी परिवार भी एक जैविक खेती के महत्व को समझने लगे हैं। विकासखंड सैलाना के ग्राम पंथवारी के लगभग 15 आदिवासी परिवार जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश परिवार यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग ना के बराबर कर रहे हैं और अपने खेतों में अधिकाधिक जैविक खाद का उपयोग करते हुए सब्जियां, गेहूं, मक्का इत्यादि उपजा रहे हैं।
कृषि विभाग के मैदानी अधिकारी श्री चौधरी की प्रेरणा से ग्राम पंथवारी के किसानों ने जैविक खेती करने का काम लगभग 3 वर्ष पहले आरंभ किया है। इसके लिए गांव के आदिवासी परिवारों के खेत में नाडेप टांका बनाया गया है जिसके लिए कृषि विभाग द्वारा मदद दी गई है।
जैविक खेती से उत्पादन ज्यादा
आदिवासी परिवार अपने पशुओं का गोबर खेत तथा वृक्षों इत्यादि का कचरा नाडेप टांके में नियमित रूप से डालते रहते हैं। लगभग 35 दिन में नाडेप से अच्छी गुणवत्ता का जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता है जिसे निकालकर आदिवासी परिवार अपने खेतों में डालते रहते हैं। पंथवारी में लगभग 100 बीघा जमीन में आदिवासियों द्वारा जैविक खेती की जा रही। इस गांव के हवजी पिता नागु, शंकरलाल, हमीरा पटेल, कमलसिंह चरपोटा, मंगला, पूजा, मुकेश, छगन, बहादुर निनामा, नागेश्वर निनामा जैसे कई आदिवासी अपने खेतों में जैविक खेती करते हुए दादी, नानी के जमाने की सेहतमंद गुणवत्तायुक्त सब्जियां, गेहूं, मक्का आदि उत्पादित कर रहे हैं।
कृषि विभाग कर रहा आदिवासी परिवारों की मदद
इन आदिवासियों का कहना है कि जैविक खाद के उपयोग से हमारी खेतों की जमीन बेहतर रूप से उपजाऊ हो रही है, बल्कि उत्पादन भी ज्यादा हो रहा है। नाडेप के साथ-साथ यह आदिवासी परिवार अपने खेतों में केंचुआ खाद भी तैयार करते हैं और उस खाद को भी अपने खेतों में इस्तेमाल कर रहे हैं। केंचुआ खाद के लिए भी कृषि विभाग द्वारा इन आदिवासी परिवारों को मदद दी गई है।