जनता की सेहत से खिलवाड़, औषधि निरीक्षक की नाक के नीचे बिक रही नशीली दवाएं

🔲 जांच अधिकारी भी बचाने में लगे

हरमुद्दा
रतलाम, 25 फरवरी। शहर में बे धड़क अवैध दवा दुकानें संचालित हो रही है जिन पर ओषधि निरीक्षक का कोई नियंत्रण नहीं है। उल्टा लोगों को निरीक्षक द्वारा लूट की खुली छूट दे रखी है। औषधि निरीक्षक की नाक के नीचे अवैध नशीली दवाएं बिक रही है।

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विगत कई समय से औषधि निरीक्षक सारिका अग्रवाल रतलाम में पदस्थ है। इन्हें दवा दुकानों के लाइसेंस जारी करने का कार्य मिलते ही इनकी लॉटरी लग गई।

दुकानों पर फार्मासिस्ट का होना है अनिवार्य

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शासकीय नियमानुसार औषधि विक्रय दुकानों पर फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य है और वही सामान्यतः दवाइयां बेच सकता है। लेकिन शहर में औषधि निरीक्षक की छूट के चलते बिना फार्मासिस्ट के अथवा किराया फार्मासिस्ट के दुकानें संचालित है। शहर में पदस्थ औषधि निरीक्षक की सालाना इनकम करीब एक करोड़ रुपए है। यही एक मात्र कारण है कि पैसा बोलता है।

पत्रकार ने की है शिकायत राष्ट्रपति तक

कुछ माह पहले औषधि निरीक्षक कि अवैध कमाई की गणना कर पत्रकार रितेश मेहता द्वारा देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन के आला अधिकारियों को इनकी शिकायत की थी किंतु प्रदेश सरकार की नींद नहीं खुली। क्या करें पैसा जो बोलता है।

औषधि निरीक्षक की खुली छूट

औषधि निरीक्षक की खुली छूट की वजह से शहर में संचालित दवाई दुकानें बिना लाइसेंस बिना फार्मासिस्ट के अवैध नशीली दवाइयां धड़ल्ले से बेच रहे हैं। इन पर किसी का जोर नहीं है। सारे नियम एक तरफ और औषधि निरीक्षक एक तरफ जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रही है।

शिकायतकर्ता ने उपलब्ध करवाए हैं साक्ष

विगत समय में पत्रकार द्वारा जो शिकायत की गई थी, उसमें पत्रकार के मध्यप्रदेश शासन के खाद्य एवं औषधि प्रशासन व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के समक्ष बयान होकर साक्ष उपलब्ध करा दिए गए थे।

औषधि निरीक्षक को बचाने में लगे हैं जांच अधिकारी

पत्रकार ने अपने बयान में लिखवाया था कि राज्य शासन
द्वारा एक टीम बनाकर शहर में संचालित दवाई दुकानों की जांच की जाए किंतु शहर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बिल्कुल उल्टा काम किया। जो साक्ष उपलब्ध कराए गए स्वास्थ्य अधिकारी उन्हीं की जांच में लग गए। सामान्य सी बात है यदि कोई व्यक्ति अवैध काम करने के लिए किसी अधिकारी को पैसा देता है तो वह अपने बयान में यह नहीं कहेगा कि मैंने अधिकारी को पैसा दिया यह तो जांच अधिकारी को समझना चाहिए। यदि दुकान नियमानुसार नहीं है तो उस पर कार्रवाई करना चाहिए। उल्टा इस प्रकार की जांच कर स्वास्थ्य अधिकारी औषधि निरीक्षक को बचाने का प्रयास कर रहे है।

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