लिंग जांच करने व सोच रखने वालों पर सक्रियता से की जाए कार्रवाई : कलेक्टर
🔲 ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ पर हुई कार्यशाला
हरमुद्दा
रतलाम, 7 मार्च। प्रसव पूर्व गर्भवती की जांच कर यह बताना कि गर्भ में बेटा है या बेटी, कानूनन अपराध है। इसे रोकने के लिए गर्भधारण पूर्व एवं प्रसूति पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 के तहत सजा का प्रावधान है। स्थानीय अमला सक्रियता के साथ इस में कार्य करें और ऐसी जांच करने व सोच रखने वालों पर कार्रवाई की जाए।
यह बात कलेक्टर गोपालचन्द्र डाड ने कहीं। ककेक्टर श्री डाड महिला बाल विकास विभाग द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना पर कलेक्टोरेट में हुई कार्यशाला में मौजूद थे।
जांच करने वाले पर कड़ी कार्रवाई व सजा का प्रावधान
पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत की जाने वाली कार्रवाई पर कलेक्टर डाड ने कहा कि जांच में पहली बार दोष साबित होने पर आरोपी को तीन साल की सजा व 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर आरोपी डॉक्टर का पंजीकरण हमेशा के लिए निरस्त किए जाने के साथ ही एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
जांच के लिए उकसाने वाले पर भी जुर्माना
कलेक्टर ने कहा कि एक्ट में लिंग परीक्षण कराने को लेकर उकसाने वाले पति व परिवार के सदस्यों को भी तीन साल की सजा व 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। समिति के जिम्मेदार सभी अपनी जिम्मेदारी में सक्रियता रखें।
बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा जरूरी : विनीता लोढ़ा
महिला बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीता लोढ़ा ने कार्यशाला में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की जानकारी दी गई। श्रीमती लोढ़ा ने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य यही है कि पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन किया जाए।
🔲 बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
🔲 बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना
🔲बालिकाओं को शोषण से बचाना व उन्हें सही व गलत के बारे में अवगत कराना।
🔲 इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना है।
🔲 लोगों को इसके प्रति जागरुक करना एवं महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाएं वितरित करने में सुधार करना है।
🔲 इस योजना के तहत मुख्य रूप से लड़के एवं लड़कियों के लिंग अनुपात में ध्यान केन्द्रित किया गया है, ताकि महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव और सेक्स डेटरमिनेशन टेस्ट को रोका जा सके।
🔲 इस योजना का उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी है।
🔲 शिक्षा के साथ-साथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी इसमें भागीदारी को सुनिश्चित करना भी इसका मुख्य लक्ष्य है।
यह थे मौजूद
कार्यशाला में सीईओ जिला पंचायत मीनाक्षी सिंह, डॉ. बी.एल. तापड़िया, सहायक संचालक रविंद्र कुमार मिश्रा, महिला बाल विकास विभाग के सभी परियोजना अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नीरज बरमेचा, सौरभ छाजेड आदि उपस्थित थे।