स्वास्थ्य, सौंदर्य, कलात्मकता और सुंदरता संगम हस्तशिल्प मेले में

 11 दिवसीय हस्तशिल्प मेले में प्रदेश के लगभग 50 कलाकार कर रहे अपनी कला का प्रदर्शन

 कॉटन के वस्त्रों से सौंदर्य में वृद्धि, लेदर की विश्वसनियता का संगम

हरमुद्दा
रतलाम 22 अक्टूबर। लेदर या चपडे की सामग्री का नाम सुनते ही क्रेता के मन में नकली असली का ख्याल आता है। बस इसी ख्याल को विश्वास में बदलने का नाम है टाटा लेदर। विदेशों में निर्यात किए जाने वाले लेदर की सामग्री रोटरी हाल अजंता टाकिज रोड़, रतलाम में खरीददार के सामर्थ्य अनुसार विक्रय के लिए उपलब्ध है। स्वास्थ्य, सौंदर्य और सुंदरता प्रदान करने वाला विशेष कॉटन  खंडवा के शिल्पकार के पास आसानी से मिल रहा है।

मेला प्रभारी दिलीप सोनी ने हरमुद्दा को बताया कि संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम म.प्र. शासन के 11 दिवसीय हस्तशिल्प मेले में प्रदेष के लगभग 50 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। मेले में कॉटन के थान पर डिजाईन का अंबार है तो लेदर की उच्च गुणवत्ता से बने बेग, पर्स, बेल्ट की भी श्रृंखला मौजूद है।

कपड़ा के थान की विषेष वेरायटी

मेले में खंडवा से आए मनोजकुमार सिंह हेंडलूम से बने कॉटन का श्रेष्ठ कपड़ा के थान की विषेष वेरायटी लेकर आए हैं। उनका नाम उनके काम के कारण राज्य स्तरीय अवार्ड के पेनल में जुड़ गया है। कॉटन के आधारीय कपड़े पर किस प्रकार से कई हेंड ब्लॉक से कपड़े में नवीनता आ जाती है।

आधुनिक डिजाईन बाजार के अनुसार

मेले में वस्तुओं की खरीदी करते हुए

कॉटन कोसा तथा अन्य डिजाईन तय करने के लिए श्री सिंह के पास निफ्ड अर्थात नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाईनिंग से कई प्रकार की डिजाईन के सुझाव आते हैं। उनके वहां अध्ययनरत विद्यार्थी उनके लिए विशेष तौर पर नई-नई डिजाईन ईजाद कर उसे कॉटन बेस पर तैयार करने के लिए देते हैं। इससे उनकी शिक्षा भी चलती रहती है और श्री सिंह को आधुनिक डिजाईन बाजार के अनुसार मिल जाती है। कॉटन में वारली, केरी, जाल, बूटा तथा हाथ की पैंटिंग वाली इतनी डिजाईन है कि शोरूम की हर कमी यहां पूरी हो जाती है। इनके कपड़ों से कुर्ते-पायजमा तो आम बात है। इसके अलावा सलवार सूट, दुपटटे, स्टोल, स्कार्फ भी बहुत ही सुंदर तरीके से बनाए गए हैं। इन कपडो की सबसे अच्छी बात है इनकी मौसम के प्रति अनुकूलता। ठंड या गरमी की अनुकूलता पैदा करने के लिए कॉटन के इन कपड़ों को विशेष ढंग से तैयार किया जाता है। विभिन्न प्रकार के रंगों का इस्तेमाल भी मौसम के अनुसार किया जाता है। बाजार में मौसम की मांग के अनुसार कॉटन पर वर्क कर उसे बाजार में दिया जाता है। नीमच में पहली बार आए श्री सिंह ने बताया कि नीमच के लोगों का गुणवत्ता के प्रति विशेष ध्यान रहता है।

लेदर के विभिन्न उत्पादों का जलवा बिखर रहे शिल्पी

मेले में देवास से आए शिल्पी ओमप्रकाश गुजराती और जबलपुर से आए परमानंद अपने लेदर के विभिन्न उत्पादों का जलवा बिखर रहे हैं। टाटा एक्सपोर्ट अपने उत्पाद बनाने के बाद वेस्ट मटेरियल को शिल्पकारों को दे देता है। शिल्पकार उस मटेरियल का जिस कलात्मक ढंग से उपयोग करते हैं वों अदभुत है। छोटे से कॉइन बेग से लेकर एयर बेग को जोड़कर तैयार करने वाले श्री गुजराती ने बताया कि इस प्रकार बनने वाली लेदर सामग्री किसी भी प्रकार से टाटा की गुणवत्ता से कम नहीं होती है बल्कि टाटा के आयटम की तुलना में कीमत बहुत ही कम होती है। उन्होंने कई महिलाओं को लेदर शिल्प सिखाया है और उन्हें रोजगार मुहैया कराया है। श्री गुजराती ने बताया कि लेदर सामग्री बनाने में उन्हें महारथ हासिल है जिससे उन्हें कई सरकार संस्थानों ने मास्टर ट्रेनर बनाया है। उनके कार्य तथा उनकी सामग्री के विक्रय के चलते उन्हें विज्ञान भवन भोपाल में रोटरी हाल अजंता टाकिज रोड़, रतलाम ने सम्मानित भी किया है। नीमच में कला प्रेमी लोगो का रूझान कला के प्रति अच्छा है। उनका लेदर भी अव्वल दर्जे का है और उसकी सप्लाई विदेशो में होती है। श्री सोनी ने बताया कि मेला प्रतिदिन रोटरी हाल अजंता टाकिज रोड़, रतलाम में सुबह 12 बजे से रात्रि 9 बजे तक मेला आम जनता के लिए निःशुल्क खुला है।

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