दिवाली बाद दर्जनों करोड़पति आए रोड पर, अब डकार रहे आमजन की सरकारी जमीन
🔲 दिक्कतों में गुजरने को मजबूर जिलेवासी
हेमंत भट्ट
रतलाम, 11 फरवरी। दिवाली के बाद रतलाम शहर में दर्जनों करोड़पति रोड पर आ गए हैं। सरकारी आमजन की जमीन को डकार रहे हैं। इनकी इस हरकत के चलते जिले और शहरवासी दिक्कतों में गुजरने को मजबूर हैं। मुद्दे की बात तो यह है कि करोड़पतियों को सरकारी जमीन हड़पने का जिम्मेदार खुल्लम खुल्ला मौका दे रहे हैं। आमजन की मुसीबतों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
दीपावली के पूर्व कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा था कि शहर में पसरा अतिक्रमण हटाया जाएगा। फिर क्या बात थी। शहर के करोड़पतियों की नियत में खोट आई। बाजार के दर्जनों करोड़पति रोड पर आ गए। हालांकि वे पहले से ही रोड पर तो थे ही और आगे तक अपना कब्जा जमा लिया। नतीजतन आमजन को चलने वाहन निकालने में दुविधा होने लगी, लेकिन इस और किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं नगर निगम ने तो और जमीन हथियाने के लिए खुल्लम-खुल्ला आमंत्रण दे दिया।
इन क्षेत्रों में विशेष
शहर के चांदनी चौक, चांदनी चौक से चारों तरफ के मार्ग, माणक चौक तोपखाना, बजाज खाना, न्यू क्लॉथ मार्केट, रंगरेज रोड, भुट्टा बाजार, नाहरपुरा, धानमंडी, नीमचौक, घास बाजार, खेरादी वास, कलाईगर रोड, कसारा बाजार, त्रिपोलिया रोड, लक्कड़पीठा, बाजना बस स्टैंड रोड, हाट रोड सहित अन्य क्षेत्रों में व्यापारी वर्ग अपने सामान लेकर फुटपाथ को हथिया रहे हैं।
कई शोरूम और मार्केट बनाएं लेकिन पार्किंग नहीं
कई लोगों ने शोरूम और मार्केट बनाए हैं। लेकिन दुकानदारों सहित ग्राहकों के वाहन रखने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। ग्राहकों और कर्मचारियों के सभी वाहन आधी सड़क पर पसरे रहते हैं। चांदनी चौक से तोपखाना मार्ग, घास बाजार, कलाईगर रोड, खेरादीवास, बजाजखाना आदि कई क्षेत्रों में 15 फीट तक फोर व्हीलर भी सड़कों पर खड़ी कर देते हैं। इतना ही नहीं इन वाहनों के आगे सब्जी, फल सहित अन्य सामग्री वाले ठेला गाड़ी लेकर खड़े हो जाते हैं जिन्हें यातायात विभाग में कोई माई का लाल नहीं हटा सकता। इससे यातायात प्रभावित हो रहा है। आम लोगों को वाहन चलाने और पैदल चलने में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। निगम के आला अफसर आखिर निर्माण के दौरान ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं, ध्यान तो देते हैं मगर भेंट पूजा हो जाती है। फिर आमजन की सुविधा जाए भाड़ में, इनको कोई मतलब नहीं। नियमों को ताक में रखकर कुछ भी कर लो।
बैंकों में भी पार्किंग नहीं, बैंक भवन मालिक ले रहे हैं मोटी राशि का किराया
बैंक को किराए से भवन देने वालों ने भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं की और ग्राहकों को वाहन सड़कों पर पार्क करना पड़ते हैं। जब यातायात का हमला आता है तो वाहन उठाकर ले जाता है। बैंक के भवन मालिक को तो केवल किराए से मतलब है और किराए से भवन लेने वाले बैंक भी ग्राहकों की सुविधा का ध्यान नहीं रख रहे हैं। ऐसे बैंक संचालकों पर भी कार्रवाई होना जरूरी है।
नजर अंदाज करती है गाड़ी, जलाती है डीजल सरकारी
यातायात विभाग की गाड़ी सुबह दोपहर शाम शहर की सड़कों पर घूमती है, मगर मार्केट के सामने रखे वाहनों को नजरअंदाज कर देती है। सरकारी डीजल जलाती रहती है और गाड़ी घूमती हुई चली जाती है। सड़कों पर रेंगने वाले ठेला गाड़ी वाले बीच सड़क पर खड़े रहकर सामग्री बेचते रहते हैं। आमजन की मुसीबत से दुकानदारों और मैजिक वालों, ऑटो वालों को कोई लेना देना नहीं। वह टस से मस होने का नाम नहीं लेते हैं। सब के सब अपनी मनमानी कर रहे हैं।
धृतराष्ट्र बने हुए हैं शहर के जिम्मेदार
शहर में बस मुसीबत हो रही है शहर की सड़कों पर चलने वालों की, जिनकी मुसीबतों को शहर के आला अफसर नजरअंदाज किए हुए हैं या यूं कहें कि कान में तेल डाले सोए हुए हैं। या यूं कहें कि वह धृतराष्ट्र बने हुए हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी केवल और केवल नौकरी कर रहे हैं, लेकिन नौकरी के लिए जो करना चाहिए, वह कुछ भी नहीं कर रहे हैं। अधिकारी इतने बेगैरत और नसल्ले हो गए हैं कि इनको अपनी इज्जत की परवाह नहीं है। परवाह है तो बस मनीराम जी की। अधिकारी के डांटने, डपकने, निलंबित करने जैसे कृत्य तो इनके लिए तमगे के समान है। पुरस्कार के समान हैं। आ जाते है फिर से बहाल होकर। सीना तान के। इसके बाद और ज्यादा दबंगई दिखाते हैं काम नहीं करने की।
यह है दिक्कत
बाजार में सरकारी जमीन पर हड़पने वाले इन लोगों के कारण आम लोगों को सड़क पर चलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यातायात जाम होता है। नतीजतन धुआं खाने को मजबूर हैं। बीमार हो रहे हैं। 2 मिनट के मार्ग को पार करने में भी 20 मिनट का समय लग रहा है।