जिला स्तरीय आयोजन के लिए धांधली : 54 की जगह आए 57 प्रतिभागी, समन्वयकों में आक्रोश
🔲 प्रत्येक विकास खंड से आने थे 9 प्रतिभागी
🔲 6 विकासखंड के होने चाहिए थे 54
🔲 जिला स्तर पर प्रथम द्वितीय और तृतीय आने वाले प्रतिभागी जाएंगे संभागीय प्रतियोगिता में
हरमुद्दा
रतलाम, 14 मार्च। सहायक शिक्षण सामग्री के निर्माण में विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन के पश्चात सोमवार को जिला स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 54 की बजाए 57 प्रतिभागियों ने हिस्सेदारी जताई। अब ऐसा क्यों किया गया यह मुद्दा छाया हुआ है। विज्ञान में बाजना से 3 के स्थान पर 4 हिन्दी में बाजना से 3 के स्थान पर 4 और गणित में आलोट से 3 के स्थान पर 4 आए थे। बाजना और आलोट पर मेहरबानी क्यों? समन्वयकों में आक्रोश पनप गया है। जिला स्तरीय आयोजन में हिंदी, विज्ञान और गणित विषय के प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागी अब संभाग स्तरीय आयोजन में शामिल होंगे।
11 मार्च को विकासखंड स्तरीय सहायक शिक्षण सामग्री प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था जिसमें प्रथम द्वितीय और तृतीय चयनित किए गए। जिले के छह विकासखंड रतलाम, जावरा, आलोट, पिपलोदा, सैलाना एवं बाजना से 9-9 प्रतियोगी चयनित होना थे। इस तरीके से 54 प्रतिभागी जिला स्तरीय आयोजन में शामिल होना थे।
आने चाहिए तो 54 प्रतिभागी आए 56
सोमवार को शहर के चंपा बिहार में आयोजित जिला स्तरीय आयोजन में 56 प्रतिभागी सहायक शिक्षण सामग्री का प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे। इस कारण जिन विकास खंडों ने नियमों का पालन करते हुए हिंदी गणित और विज्ञान विषय के तीन-तीन प्रतिभागी का चयन करके सूची जिला स्तर के लिए भेजी थी, उनमें आक्रोश देखा गया।
शुभारंभ समारोह में यह थे अतिथि
फीता काटकर अतिथियों ने प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। सहायक शिक्षण सामग्री प्रदर्शनी के शुभारंभ अवसर पर शिक्षाविद साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला डाइट के प्राचार्य आनंद शर्मा मौजूद थे। सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। अलका आचार्य ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। स्वागत भाषण डाइट के नरेंद्र कुमार गुप्ता ने दिया। संचालन डॉ. मुनींद्र दुबे ने किया।
पुरस्कार वितरण के यह थे अतिथि
पुरस्कार वितरण में मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा, डाइट प्राचार्य आनंद शर्मा सीएल सालित्रा, डीपीसी एम एल सांसरी थे।
उन्होंने किया अतिथियों का स्वागत
अतिथि स्वागत जिला परियोजना समन्वयक मोहनलाल सेंसरी, सहायक परियोजना समन्वयक चेतराम टांक, बीएलबुज, कांतिलाल डोडियार, बीएल धमानिया, बीआरसी मुकेश राठौर, विवेक नागर, विनोद कुमार शर्मा ने किया। संचालन पिपलोदा बीआरसी विनोद कुमार शर्मा ने किया। आभार डॉ. नरेंद्र कुमार गुप्ता ने माना ।
निर्णायकों के निर्णय में यह संभागीय आयोजन के लिए
हिंदी में
निर्णायक : डॉक्टर मुरलीधर चांदनीवाला डॉ. मुनींद्र दुबे, संगीता भट्ट
प्रथम : अंजुम खान
द्वितीय : अमर लाल चौहान
तृतीय : सविता राजपुरोहित
विज्ञान में
निर्णायक : भंवरलाल सोनी, विजया कुशवाहा, नारायण उपाध्याय
प्रथम : अंजलि गोस्वामी
द्वितीय : रेखा राठौर
तृतीय : शालिनी जोशी
गणित में
निर्णायक : राधेश्याम राठी, जितेंद्र कौशिक, स्मिता सक्सेना
प्रथम : श्रद्धा पवार
द्वितीय : अनीता राठौर
तृतीय : प्रियंका राठौर
टी एल एम का महत्व पुस्तकों से अधिक
विश्व में सबसे पहले टीएलएम का आविष्कार सबसे पहले हुआ। पुस्तकें बहुत बाद में आई। इसलिए टीएलएम का महत्व पुस्तकों से भी अधिक है। शिक्षकों को हमेशा आपस में अकादमिक परिचर्चा करते रहना चाहिए। इससे शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार होता है।
🔲 डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला शिक्षाविद एवं साहित्यकार
कठिन विषय होते हैं आसान
टीएलएम से कठिन से कठिन अवधारणाओं को बहुत सरलता से समझाया जा सकता है।
🔲 आनंद शर्मा, प्राचार्य डाइट, पिपलोदा
परीक्षा परिणाम में सुधार लाता है टी एल एम का प्रयोग
टी.एल. एम. से शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ती है। इसलिए सभी शिक्षकों को अपनी शिक्षण पद्धति में टी एल एम का प्रयोग करना चाहिए। टीएलएम का प्रयोग परीक्षा परिणामों में सुधार लाता है।
🔲 केसी शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, रतलाम
फोटो : हेमेंद्र उपाध्याय
आखिर क्या थी मजबूरी ऐसी
डीपीसी एम एल सांसरी को हरमुद्दा ने धांधली पर जानना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उनसे पूछना था कि जो नियम लागू थे तो उनका पालन नहीं करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी? आपने तय प्रतिभागी से ज्यादा को शामिल क्यों किया? ऐसी क्या मजबूरी थी?