खासने वाले सावधान : उम्र के किसी भी दौर में लगातार हो रही खांसी तो, उसे ना करें नजर अंदाज, एक टीबी का मरीज 10 को लेता है अपनी चपेट में

 एक मरीज पर होता है 15 से 18 लाख रुपए का खर्च

 कुपोषित मरीजों को दिया जाता है पोषण आहार के लिए ₹500 प्रतिमाह

 जन जागरूकता के लिए हुआ साइकिल रैली एवं मीडिया कार्यशाला का आयोजन

हरमुद्दा
रतलाम, 23 मार्च। उम्र के किसी भी दौर में यदि लगातार खांसी आ रही है तो उसे नजरअंदाज ना करें। तत्काल क्षय रोग चिकित्सक से परामर्श लें और जांच करवाएं, ताकि टीबी जैसी गंभीर बीमारी आप के संक्रमण से आसपास में ना फैले।। टीबी का इलाज करवाना जरूरी है। सरकार हर एक टीबी मरीज पर 15 से 18 लाख रुपए खर्च कर उन्हें ठीक करती है। यदि आप लगातार खासते और इसके कीटाणु अन्य को फैलते हैं तो एक मरीज 10 लोगों में टीबी को जन्म देता है। जागरूकता रखें और टीबी का इलाज करवाएं।

जानकारी देते हुए डॉ. निखरा। समीप मीडिया प्रभारी श्री चौरसिया

यह बात जिला क्षय अधिकारी डॉ. योगेश निखरा ने मीडिया कार्यशाला में कही। राष्ट्रीय क्षय रोग दिवस 24 मार्च को है। क्षय रोग दिवस के पूर्व जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।

टीवी के मरीज दंपत्ति ने बांट दी टॉफियों के साथ बीमारी

डॉक्टर निखरा ने बताया कि भोपाल में एक बुजुर्ग दंपत्ति बच्चों को टाफियां देते थे। वे लगातार खाते रहते थे। बच्चे उनके संपर्क में आए। दर्जनों बच्चे टीबी के शिकार हो गए। जब सर्वे हुआ, तब पता चला कि बुजुर्ग दंपत्ति को टीबी थी और इसी का कारण पूरे क्षेत्र में बच्चे प्रभावित हो गए।

यह है लक्षण टीबी के

जिला चिकित्सालय रतलाम में आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान जिला क्षय अधिकारी डॉ. निखरा ने बताया कि टीबी के प्रारंभिक लक्षण जैसे 15 दिन से अधिक की खासी , प्रतिदिन शाम को लगातार रहने वाला बुखार, कमजोरी वजन कम होना,  भूख न लगना आदि लक्षण दिखाई देते हैं तो तत्काल नजदीकी सरकारी अस्पताल में जांच और उपचार कराना चाहिए।  सरकारी अस्पताल में टी बी  का पूरा और निशुल्क उपचार उपलब्ध है। जांच एवं उपचार कराने में देरी करने की दशा में टीबी रोग का उपचार मुश्किल हो जाता है। इसलिए लक्षण दिखाई देते ही समय पर जांच और  पूरा उपचार कराना चाहिए।

2025 तक भारत को क्षय रोग मुक्त बनाने का विजय अभियान

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम भारत सरकार की प्राथमिकता पर आधारित कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत भारत को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

यह है रणनीति क्षय रोग उन्मूलन की

कार्यक्रम की रणनीति के अनुसार DPTB के अंतर्गत DETECT  PREVENT  TREAT BUILD की नीति निर्धारित की गई है। इसके लिए मरीजों को खोजना, बीमारी की रोकथाम करना,  टी बी के मरीजों का उपचार करना तथा मरीजों के लिए स्वास्थ्य देखभाल,  उचित पोषण आहार की व्यवस्था करना सम्मिलित है । टी बी के पोजीटिव  मरीजों के लिए  पोषण के लिए प्रतिमाह ₹500 की राशि मरीजों के खाते में प्रदान की जा रही है। परिवार के सदस्यों को भी टी बी  से बचाव के लिए निशुल्क औषधियां प्रदान की जा रही है। जिन मरीजों को टी बी के सामान्य दवाइयों से उपचार लाभ नहीं मिल पाता, उनके लिए विशेष प्रकार की 15 लाख रुपए तक लागत की उपचार थेरेपी दवाइयां शासन की ओर से निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। 

जिले में टीबी रोग के 18 सौ मरीज

डॉक्टर ने बताया कि वर्तमान में रतलाम जिले में टी बी के 1800 मरीज का उपचार किया जा रहा है । जिनमें से 20 मरीज विशेष केटेगरी के पाए गए हैं जिनको उक्त लागत की दवाइयों का उपचार प्रदान किया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों का सम्मान किया गया।

जागरूकता के लिए किए जा रहे हैं आयोजन

जागरूकता के लिए निकाली गई साईकिल रेली

स्वास्थ्य विभाग के मीडिया प्रभारी आशीष चौरसिया ने बताया कि जिले में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जागरूकता संबंधी गतिविधियां आयोजित की गई।  रतलाम जिले के जिला क्षय इकाई जिला चिकित्सालय रतलाम से साइकिल रैली का आयोजन किया गया। साइकिल रैली को जिला क्षय  अधिकारी डॉ. निखरा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।  रैली में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों ने रोग से बचाव संबंधी तख्तियां के माध्यम से प्रचार प्रसार किया। 

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