हत्या के बहुचर्चित मामले में कोर्ट का फैसला : दो हत्यारो को सुनाई आजीवन कारावास की सजा, पेंचीदगी भरा था मामला

⚫ बीड़ी के टुकड़ों की रिपोर्ट के आधार पर सुनाई सज़ा

⚫ हत्या जैसे गंभीर मामले को निरस्त करने का आधार नहीं

⚫ कचरा बीन कर घर चलाते थे पति पत्नी

हरमुद्दा
रतलाम, 22 नवंबर। विशेष सत्र न्यायालय ने हत्या के एक चर्चित मामले में दो आरोपियों को दोषी करार दिया। न्यायाधीश डी एस चौहान के न्यायालय ने आरोपियों मंगल सिंग उर्फ़ मंगल बाबा और कारुलाल निवासी मुण्डलाराम जावरा को भादवि की धारा 302  34  के अधीन आजीवन कारावास की सजा दी है।  न्यायालय ने 2000 रुपया प्रत्येक को अर्थदंड की सजा का भी फ़ैसला सुनाया है।

विशेष लोक अभियोजक एट्रोसिटी एक्ट नीरज सक्सेना ने हरमुद्दा को बताया कि वर्ष 2019 में पुलिस थाना औद्योगिक क्षेत्र जावरा जिला रतलाम के अंतर्गत ग्राम नागदी में तीन रुंडी पहाड़ी पर मांगीलाल पिता वीर जी की हत्या की गई थी। जिसकी सूचना कुम्हरी बाई ने पुलिस थाना जावरा को दी थी। उसने बताया कि वह और उसका पति मांगीलाल और पुत्र दिनेश पिछले 5 सालों से ग्राम भूतिया आकर रह रहे थे। उसकी तबीयत ख़राब रहती थी। वह रोज़ाना पनिया बीन कर घर ख़र्चे चलाती है। उसका आदमी भी पत्नियाँ बिनता था। दो दिन पहले उसका पति ग्राम नागदी में मसानघाट में मंगल बाबा के पास गया था, जो वापस नहीं आया। उसका पति और मंगल साथ में शराब पीते थे। वह अपने लड़के दिनेश साथ घटना स्थल गई।

नीरज सक्सेना

पहाड़ी के ऊपर किसी की लाश पड़ी होने की मिली सूचना

सूचना मिली की पहाड़ी के ऊपर किसी की लाश पड़ी होने की सूचना है जो उसके पति की थी। इसके बाद पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर आरोपीगण को गिरफ़्तार कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया। निश्चित रूप से अभियुक्तगण के विरुद्ध जो रिपोर्ट लिखाई गई थी उसमें अभियुक्तगण के नाम का उल्लेख नहीं है। न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में यह उल्लेख किया गया  है कि भले ही अभियुक्तगण का नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट में न हो तो तब हत्या जैसे गंभीर मामले को यह निरस्त करने का आधार नहीं हो सकता है क्योंकि अभियोजन का संपूर्ण  मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। इस कारण प्रकरण में उपलब्ध परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर विचार किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित है।

बीड़ी के टुकड़े माचिस की अधजली तिली ज़ब्त

प्रकरण में घटना स्थल से गवाहों की उपस्थिति में बीड़ी के टुकड़े माचिस की अधजली तिली ज़ब्त कर की। जो दोष सिद्ध होने का मुख्य आधार बने। प्रकरण में राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक नीरज सक्सेना ने पैरवी की।

नहीं था चश्मदीद साक्षी

हमने न्यायालय के समक्ष 16 साक्षियो को परीक्षित करवाया था चूँकि प्रकरण में कोई चश्मदीद साक्षी नहीं था। इस कारण से हमने परिस्थितिजन्य साक्ष्य एवं वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर  मामले को न्यायालय के समक्ष रखा था। न्यायाधीश चौहान के न्यायालय ने आरोपियों मंगल सिंग उर्फ़ मंगल बाबा और कारुलाल निवासी मुण्डलाराम जावरा को भादवि की धारा 302  34  के अधीन आजीवन कारावास की सजा दी है। 

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