धर्म ज्योतिष : अदभुत खगोलीय घटना गुरुवार को, हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम रखा है ‘निंगालू’
⚫ 100 साल में एक बार होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
हरमुद्दा
बुधवार, 19 अप्रैल। साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल दिन गुरुवार को लग रहा है। इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है क्योंकि यह पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण के बीच की अवस्था होगी। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण 100 साल में एक बार होता है। इस सूर्य ग्रहण का नाम ‘निंगालू’ रखा गया है। इस साल दो सूर्य ग्रहण लगने वाले हैं, पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार और दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा।
एक बलाई के समान दिखेगा सूर्य
सूर्य ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और केतु सूर्य का ग्रास करने आते हैं तो सूर्य ग्रहण लगता है। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा की छाया धरती को पार करके आगे निकल जाती है। उस दौरान कुछ सेकेंड के लिए सूर्य एक वलय के समान दिखाई देता है।
सुबह 7:04 पर शुरू होगा और दोपहर 12:28 पर मोक्ष
जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र गुप्त ने बताया कि पूर्ण सूर्यग्रहण का प्रारम्भ 20 अप्रैल 2023 को भारतीय मानक समय के अनुसार प्रातः 07:04:5 बजे से होगा। पूर्णता की स्थिति प्रातः 09:46:8 बजे पर होगी। इस समय पूर्ण सूर्य, चन्द्रमा द्वारा ढक लिया जाएगा, यह एक दुर्लभ नजारा होगा। पूर्णता की अवधि 1 मिनट 12 सैकण्ड तक होगी। मोक्ष की स्थिति दोपहर 12:28:2 बजे पर होगी।
यहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
भारत में यह पूर्ण सूर्यग्रहण दृश्य नहीं होगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण अंटार्टिका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण हिन्द महासागर, इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स एवं दक्षिण पेसफिक महासागर में बहुत अच्छी प्रकार से देखा जा सकेगा।
सूर्य ग्रहण पर सूतक काल
यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य न होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं है। सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण प्रारंभ समय से 12 घंटे पूर्व ही प्रारंभ हो जाता है। सूतक काल को अशुभ समय माना जाता है, इसलिए उस समय में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। पूजा पाठ भी बंद रहता है। गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी होती है। सूतक काल में भोजन और सोना दोनों ही मना होता है।