धर्म संस्कृति : मन में है बैर, तो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा जाना केवल है सैर
⚫ आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ छोटू भाई की बगीची में प्रवचन
⚫ गुरु सप्ताह महोत्सव 12 से
हरमुद्दा
रतलाम,08 अक्टूबर। मनुष्य संसार में शांति ढूंढता रहता है, लेकिन शांति किसी माॅल में, मंडी में या मार्केट में नहीं मिलती, वह केवल प्रेम भरे माहोल में मिलती है और प्रेम तभी मिलता है, जब हमारे मन में बैरभाव नहीं होता। संसार में जिसने बैर को समाप्त किया, वही धर्मात्मा है। मन में बैर रखकर धर्म करना दिखावा होता है। इसीलिए कहते भी है-मन में बैर है, तो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा जाना सैर है।
यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरुष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में चातुर्मासिक प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि मन में द्वेष रहता है, तो शांति नहीं मिलती और उथल-पुथल मची रहती है। इसलिए सबकों जीवन में एक नियम बना लेना चाहिए कि मुझे किसी से बैर नहीं रखना है। जीवमात्र के प्रति क्षमा का भाव रखना चाहिए। इससे शांति और सुकुन दोनो मिलते है।
सबके अंतर्मन में छिपी हुई है शांति
आचार्यश्री ने कहा लोग जिदंगी एक बार मिलती है, ऐसा कहते है, लेकिन महापुरूषों के अनुसार जिदंगी तो रोज मिलती है, मौत ही एक बार आती है। इसलिए मौत आने से पहले अपनी जिदंगी को मंगलमय बना लेना चाहिए। सबके अंर्तमन में शांति छुपी है, जिसे बैर प्रकट नहीं होने देता है। बैर की समाप्ति ही उसका अनुभव कराएगी।
20 उपवास के लिए प्रत्याख्यान
आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने तप, त्याग की प्रेरणा दी। राजस्थान से आए निरंजन दास शास्त्री एवं भदेसर के ऋषभ रूंगनेचा ने भी विचार व्यक्त किए। महासती श्री इन्दुप्रभाजी मसा ने 20 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। इस दौरान बडी संख्या मंे श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।
गुरु सप्ताह महोत्सव 12 से 18 अक्टूबर तक मनेगा
परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरुष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा के 65 वे जन्म दिवस एवं साधुश्रेष्ठ श्री पारस मुनिजी मसा तथा मुनिश्रेष्ठ श्री प्रेममुनि जी मसा के 58 वे दीक्षा महोत्सव के उपलक्ष्य में 12 से 18 अक्टूबर तक गुरू सप्ताह महोत्सव मनाया जाएगा। श्री हुक्म गच्छीय साधुमार्गी शांत-क्रांति जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में इस दौरान विविध आयोजन होंगे जिनमें तप आराधना की जाएगी।
तरूण तपस्वी श्री युगप्रभजी मसा ने बताया कि 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय जाप दिवस, 13 को राष्ट्रीय आराधना दिवस, 14 को राष्ट्रीय दया वं संवर दिवस, 15 को राष्ट्रीय अनुकम्पा दिवस, 16 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वाध्याय दिवस एवं 17 अक्टूबर को प्रेरणा की पहल का आयोजन होगा। 18 अक्टूबर को आचार्यश्री के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में सामायिक एवं एकाशना दिवस मनाया जाएगा। अभा साधुमार्गी शांतक्रांति जैन युवा संघ ने समाजजनों से सभी कार्यक्रमों में अधिक से अधिक सहभागिता करने का आव्हान किया है।