धर्म संस्कृति : श्री अरविन्द का योग पूरी मानव प्रजाति के मोक्ष के लिए
⚫ मुख्य वक्ता कैवल्य स्मार्त ने कहा
⚫ ओरो आश्रम में आयोजित शिविर में विभिन्न राज्यों से आए शिविरार्थी
⚫ ओरो आश्रम में शिविर का दूसरा दिन
⚫ समाधि की सुन्दर सज्जा
यशपाल तंवर
रतलाम, 6 दिसंबर। पूर्णयोग के लिए हमारे मन, प्राण और शरीर पर आत्मा का शासन आवश्यक है। ये शासन पूर्णकालिक होना चाहिए। जिसका स्वयं पर नियंत्रण नहीं, वह योग में प्रवेश नहीं कर सकता। श्रीअरविन्द का योग पूरी मानव प्रजाति के मोक्ष के लिए है। पूर्णयोग का साधक अनन्त की उपासना करता है। पूर्णयोग जीवन को साथ लेकर मानव विकास का योग अर्थात दिव्यता का योग है। इसके लिए अपने आपको पवित्र बनाकर अपने अस्तित्व का अर्पण होना चाहिए।
यह बात श्रीअरविन्द सोसायटी, सूरत से पधारे मुख्य वक्ता कैवल्य स्मार्त ने कही। वे श्रीअरविन्द मार्ग स्थित ओरो आश्रम में आयोजित स्वध्याय, साधना, सत्संग, समागम शिविर में विभिन्न राज्यों से आए शिविरार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
प्रभु के प्रति उद्घाटित
श्री कैवल्य स्मार्त ने कहा कि हमें ईश्वर के प्रति उद्घाटित होने का प्रयास करना चाहिए। इस हेतु अहं और तृष्णा पर विजय आवश्यक है। निस्वार्थ वृत्ति,निष्काम भाव और विनम्रता योग साधना के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है। हृदय में ईश्वर के लिए प्रज्वलित प्रेम ही सच्ची भक्ति है। इससे पूर्व सुश्री ऋतम् उपाध्याय ने “तुम पधारो माँ अनन्त प्रकाशिनी” भजन की सुन्दर प्रस्तुति दी।
समाधि की सुन्दर सज्जा
शिविर में श्रीअरविन्द के दिव्य देहांश स्थल (समाधि) की बहुत ही आकर्षक सजावट की गई। सुश्री ऋतम् उपाध्याय ने यहांँ श्रीमाँ के प्रतीक चिह्न को फूलों से बनाया जो हर दर्शनार्थी के लिए आकर्षण का केन्द्र बना।