मांगलिक भवन की जमीन का दावा निरस्त

मामला ग्राम पंचायत सरवन में मांगलिक भवन के निर्माण का

विवाद के कारण दूसरी जगह बना मांगलिक भवन

हरमुद्दा
रतलाम 28 दिसंबर। ग्राम सरवन में 20 लाख रुपए की लागत से बनने वाले मांगलिक भवन की जमीन सर्वे नंबर 47 जो दो बीघा है, उस पर स्वामित्व के दावे को न्यायालय ने निरस्त कर दिया।  विवाद के कारण शासन द्वारा मांगलिक भवन का निर्माण नहीं किया जा सका था तथा दूसरी जगह पर निर्माण करना पड़ा।

अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी

अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने हरमुद्दा को बताया कि 24 मई 2018 को शासन द्वारा रतलाम बांसवाड़ा रोड स्थित आबादी के समीप ग्राम पंचायत सरवन में मांगलिक भवन के निर्माण हेतु राजस्व अधिकारियों की उपस्थिति में चुने की लाइन गड्ढे खोदने हेतु डाली जा रही थी। तभी मौके पर मुकेश पिता केशवलाल शर्मा निवासी सरवन द्वारा विवाद किया गया तथा कार्य करने से रोका गया। इसके बाद प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड  सैलाना के अतिरिक्त न्यायाधीश के समक्ष शासकीय भूमि सर्वे नंबर 47 पर घोषणा एवं स्थाई निषेधाज्ञा की सहायता हेतु 30 मई 2018 को मुकेश शर्मा द्वारा दावा प्रस्तुत किया गया। जिसमें बताया कि बंदोबस्त की त्रुटि के कारण उक्त भूमि पर शासन का नाम अंकित हो गया है।

दो बीघा जमीन शासन की नहीं होकर मेरे स्वामित्व की है। शासन द्वारा जवाब प्रस्तुत कर बताया कि  भूमि सन् 1956-57 में भी शासन की होकर ग्राम पंचायत सरवन के नाम दर्ज रही है ।पूर्व में इसका सर्वे नंबर 66 था। बंदोबस्त के बाद सर्वे नंबर 47 हो गया है। इसके बाद गवाह के दौरान भी उक्त भूमि शासन की ही मानी गई। शासन की ओर से  सैलाना तहसीलदार कैलाश कन्नौज के कथन न्यायालय में अंकित करवाए गए। इसके बाद विद्वान न्यायाधीश अभिषेक सोनी द्वारा मुकेश शर्मा द्वारा प्रस्तुत वाद को निरस्त कर दिया गया। शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी द्वारा की गई ।

अन्यत्र जगह बना मांगलिक भवन

न्यायालय में दावा लगने के बाद विवाद के चलते शासन की योजना अनुसार ग्राम सरवन में मांगलिक भवन निर्माण दूसरी जगह करना पड़ा।

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