कोर्ट का फैसला : रुपए हड़पने वाली कंपनी आरोग्य धन वर्षा एंड एलीट लिमिटेड के डायरेक्टर्स को 6 वर्ष की सजा
⚫ 11000 का अर्थ दंड भी
⚫परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के पहले ही भाग गए थे डायरेक्टर
⚫ पांच आरोपियों को सुनाई सजा
हरमुद्दा
रतलाम 30 दिसंबर। निवेशकों का रुपया डबल करने का झांसा देकर उनके रुपए हड़पने वाली कंपनीआरोग्य धनवर्षा एन्ड एलीट लिमिटेड के डायरेक्टरो को तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने 6 वर्ष का कारावास और ₹11000 के अर्थ दंड से दंडित किया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने हरमुद्दा को बताया कि 22 मार्च 2017 को आवेदक पप्पूसिंह पिता मदनसिंह राजपूत द्वारा इस आशय की रिपोर्ट की की वर्ष 2011 में आरोग्य धन वर्षा डेवलपर्स एंड एलिट लिमिटेड के संचालक गण बगदीराम, राजेंद्र सिंह, जगदीश चंद्र व्यास ,रघुवीर सिंह, धर्मेंद्र सिंह सोनगरा ,द्वारा फरियादी ओर अन्य लोगो को अधिक ब्याज अधिक लाभ का प्रलोभन देकर अधिक से अधिक रुपया उनकी आरोग्य धन वर्षा डेवलपर्स एलिट लिमिटेड कंपनी में जमा करने हेतु बताया था।
परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के पहले ही भाग गए थे डायरेक्टर
फरियादी व उसके मिलने वालों द्वारा कंपनी के लोगों के द्वारा दिए गए लालच में आकर कंपनी में अपनी गाड़ी मेहनत की कमाई को निवेश किया था परंतु परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के पूर्व ही सभी डायरेक्टर कंपनी बंद करके भाग गए जिसकी शिकायत फरियादी द्वारा पुलिस थाना बरखेड़ाकला पर की गई थी जिसकी रिपोर्ट पर थाना बरखेड़ाकला पर अपराध क्रमांक 167 / 17 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी जहां से पुलिस द्वारा अनुसंधान पूर्ण कर आरोपियों उनके विरुद्ध न्यायालय में धारा 467, 468, 471 व धारा 3, 6 मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया था ।
तर्कों से सहमत होकर सुनाई सजा
तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा के न्यायालय में प्रकरण का विचारण किया गया जहां पर अभियोजन द्वारा अपनी साक्ष्य एवं दस्तावेजों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया अभियोजन की साक्ष्य एवं दस्तावेजों से सहमत होकर न्यायालय द्वारा आरोपी रघुवीर सिंह, राजेंद्र सिंह ,जगदीश चंद्र व्यास ,धर्मेंद्र सिंह, व बगदीराम को धारा 420 भादवि के तहत 6 वर्ष के कारावास एवं ₹1000 के अर्थ दंड तथा धारा 6 मध्य प्रदेश निक्षेप को के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के अंतर्गत 6 वर्ष का कारावास एवं ₹10000 की जमाने से दंडित किया अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोकअभियोजक संजीव सिंह चौहान द्वारा की गई