साहित्य सरोकार : विदा तेईस, स्वागत चौबीस

खड़ी जनवरी आतुर
पकड़े सन् चौबीस
का हाथ
ठिठुरते, सिहरते सरक
रहा दिसंबर
सन् तेईस के साथ।

डॉ. नीलम कौर

खड़ी जनवरी आतुर
पकड़े सन् चौबीस
का हाथ
ठिठुरते, सिहरते सरक
रहा दिसंबर
सन् तेईस के साथ।

कुछ छूटेगा पीछे
कुछ नया आएगा हाथ
भीगा-भागा यादों का
पल बन जाएगा बात
फिर भी नये बरस के
स्वागत को
सजेंगे घर- द्वार
सजेंगी महफिलें अर्ध-
रात्रि तक
गूँजेंगे गीत,गजल संग
साज

दो एक दिन का मेला
लगेगा
फिर वही होंगे दिन
और रात
सबकी अपनी डफली
सबके अपने राग
मौसम वही रहेंगे
वही रहेंगे जज्बात
बस नये संकल्पों की
होगी कोरी बात।

⚫ डॉ. नीलम कौर

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