पुस्तक समीक्षा : समकाल के जटिल सवालों से मुठभेड़ करती कविताएं
⚫आशीष दशोत्तर एक चिरपरिचित रचनाकार हैं। कहानी, कविता, नवगीत, व्यंग्य, ग़ज़ल आदि विभिन्न विधाओ में उनकी आवाजाही बनी रहती है तथा उनके लेखन में निरंतरता है। ‘तुम भी ?’ उनका नवीन कविता संग्रह है, जो न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। साहित्य अकादमी म.प्र. के युवा लेखन पुरस्कार व शरद जोशी व्यंग्य सम्मान समेत अनेकों पुरस्कार से सम्मानित आशीष दशोत्तर के इस संग्रह में साठ कविताएं हैं।⚫
⚫ सुरेश उपाध्याय
आशीष दशोत्तर एक चिरपरिचित रचनाकार हैं। कहानी, कविता, नवगीत, व्यंग्य, ग़ज़ल आदि विभिन्न विधाओ में उनकी आवाजाही बनी रहती है तथा उनके लेखन में निरंतरता है। ‘तुम भी ?’ उनका नवीन कविता संग्रह है, जो न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। साहित्य अकादमी म.प्र. के युवा लेखन पुरस्कार व शरद जोशी व्यंग्य सम्मान समेत अनेकों पुरस्कार से सम्मानित आशीष दशोत्तर के इस संग्रह में साठ कविताएं हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में आशीष का यह नौवां संग्रह है तथा इसके अतिरिक्त नवसाक्षर लेखन में कहानी की पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं। आठ वृत्तचित्रों के लिए संवाद लेखन एवम पार्श्व स्वर तथा सामाजिक सरोकारों पर कई पुस्तकों का लेखन व सम्पादन भी आशीष के रचना संसार का विस्तार ही है।
इस संग्रह की कविताओं में हमारे समय की विसंगतियों व चुनौतियों को रचनाकार की चिंता व प्रभावी हस्तक्षेप की तरह देखा जा सकता है। संवैधानिक मूल्यों यथा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता व समता के प्रति कवि की पक्षधरता व प्रतिबद्धता के स्वर स्पष्ट सुने जा सकते हैं।
दुनिया में हथियारों की होड / ज़खीरे, पसरता आतंकवाद , जहां विश्व शांति के लिए गम्भीर ख़तरा बना हुआ है तो बाजा़रवादी अर्थव्यवस्था ने आमजन के जीवन को दुष्कर बना दिया है। कवि की चिंताएं इन विषयों पर मुखरता से देखी जा सकती है। तमाम संकटों के बीच कविताओं में निराशा के बरक्स आशा के स्वर ढाढस बंधाते हैं। झाबुआ के आदिवासी अंचल की संस्कृति, उनके जीवन की जटिलताओं, उनके संघर्ष व जिजीविषा, जीवटता से इन कविताओं के माध्यम से वाबस्ता होता देखा जा सकता है। भाषा की सहजता व सरलता कविताओं को सम्प्रेषणीय बनाती है तो व्यंग्य के स्वर उसकी प्रभावोत्कता में वृद्धि करते हैं।
आज की राजनीति पर भी कुछ कविताएं संग्रह में है जो राजनीति में बढती एकालाप की प्रवृत्ति और चेहरे की राजनीति पर कटाक्ष करती है। ‘उसकी पसंद का चेहरा ‘, एक ऐसी ही कविता है तथा तानाशाही की पदचाप को सुनते हुए कवि की आकांक्षा को ‘कभी ऐसा हो’ कविता में देखा जा सकता है –
तानाशाह सभ्यता को बर्बाद करने का सोचे / उससे पहले सभ्यता तानाशाह को / दफन कर दे इतिहास के पन्नो में ‘.
‘इस वक्त’ व ‘जादूगर’ कविता में तथाकथित विकास से उपजे वीभत्स दृश्य यथा गरीबी, पर्यावरण की दुर्दशा आदि विकास की अवधारणा को प्रश्नांकित करते हैं। साम्प्रदायिक तनाव से बालमन में आए सहज प्रश्न ‘सवाल’ कविता के माध्यम से उठाए गए है तो ‘लकीर’ कविता में इस गहराते विभाजन की चिंता के साथ इसके समाप्ति के लिए आश्वस्ति के भाव भी हैं। ‘ब्रांड एम्बेसेडर’ कविता बाज़ारवादी अर्थव्यवस्था में विज्ञापन के छल को रेखांकित करती है। ‘अगर पिता होते’, ‘पिता की घडी’, ‘मां के हाथो में’, ‘मां – कुछ कविताए’ में मां-पिता को शिद्दत से याद किया गया है। इन कविताओं में भावुकता के बरक्स बाज़ार व धार्मिक मूल्यों में आए परिवर्तन को देखा जा सकता है। अपने शहर के अग्रज रचनाकार डा. देवव्रत जोशी (जवान होते हुए), डा. ओमप्रकाश एरन (खूबसूरत कविता) व प्रोफेसर रतन चौहान (आसमान छूने) के लिए कविताओं के माध्यम से साहित्यिक / सामाजिक / पारिवारिक परिवेश व इन रचनाकारों की चिंताओं / हस्तक्षेप / आकांक्षाओं को उभारा गया है। ‘पलायन’ व ‘गलतफहमिया’ कविताओं में मालवा के आदिवासी अंचल की संस्कृति, उनके संघर्ष, उनकी जीवटता, स्वाभिमान व आकांक्षा का चित्रण किया गया है। दुनियाभर में हथियारों के जखीरों व उनके खतरों को ‘हथियार’ कविता में रेखांकित करते हुए हथियार निर्माताओं से सवाल किया गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, मज़हब के ठेकेदारों पर करारा व्यंग्य ‘स्वागत है’ कविता में किया गया है – थक हार कर सोचा राजनीति ही की जाए / तत्काल रहनुमाओं, सभासदों / तालीम के ठेकेदारों / धर्माचार्यों की आवाज़ आई / आपका हमारे यहां स्वागत है।
आशीष दशोत्तर का कविता संग्रह ‘ तुम भी ?’ आमजन के जीवन को प्रभावित करते अनेकों बुनियादी सवालों को उभारता है और व्यंग्य की पैनी धार के साथ उनसे मुठभेड करता है। कवि के स्वरों में उम्मीद का भाव आश्वस्तिकारक है। मैं इस संग्रह का स्वागत करते हुए आशीष की निरंतर रचनाशीलता के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करता हूँ।
⚫ सुरेश उपाध्याय
कविता संग्रह – तुम भी ?
कवि – आशीष दशोत्तर
प्रकाशक – न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दि ल्ली
मूल्य – रुपए 200/-