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धर्म संस्कृति : मांगल्य मंदिर में जन्माष्टमी पर सबसे ऊंचे झूले में कान्हा

मध्यरात्रि में भगवान के प्राकट्य महोत्सव मनाया परंपरागत तरीके से

मनोहरी छवि का एकादशी तक दर्शन एवं अभिषेक कर सकेंगे भक्त

डांडिया रास के साथ स्वागत

हरमुद्दा
रतलाम, 27 अगस्त। धर्मक्षेत्र मांगल्य मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर  सबसे ऊंचे झूले में झूलते कान्हा ने भक्तों को दर्शन दिए। भक्तों ने भव्य झूले में यशोदानंदन को झूला झुलाते हुए जन्माष्टमी की बधाईयां दी। मध्यरात्रि में भगवान के प्राकट्य महोत्सव को परंपरागत उत्सव से मनाया गया। भगवान की इस मनोहरी छवि का भक्त एकादशी तक दर्शन एवं अभिषेक कर सकेंगे।

व्यवस्थापक पं. सुदामा मिश्र ने हरमुद्दा को बताया मांगल्य मंदिर आश्रम  में इस बार की जन्माष्टमी कुछ अलग ही रही । इस बार का मुख्य आकर्षण मंदिरों के शिखर से बंधा भव्य झूला रहा । जिस पर सुंदर सलोने यशोदा के लल्ला झूल रहे थे । प्रातःकाल से ही  हजारों के संख्या में आए दर्शनार्थी  जन्माष्टमी महापर्व पर अपने आराध्य को झूला झूला कर गदगद हो रहे थे।भगवान की इस मनोहरी छवि का भक्त एकादशी तक दर्शन एवं अभिषेक कर सकेंगे। भगवान को झूला झुलाने के पश्चात सभी भक्तों ने धातु की मूर्ति का दुग्धाभिषेक कर आनंद का अनुभव किया।

डांडिया रास के साथ स्वागत

यहां भक्तों का आनंद परमानंद में तब बदल गया जब गोधूलि बेला के समय भगवान के बाल स्वरूप को आश्रम के साधक भाई वासुदेव बन अपने सर पर टोकरी में रख कर शोभा यात्रा के रूप में आए तो भक्त झूम उठे और भगवान के स्वागत में सभी भक्तों ने घंटों तक डांडिया रास किया।

डांडिया रास के पश्चात सभी भक्त मांगल्य मंदिर स्थित कृष्ण मंदिर पहुंचे जहां मध्य रात्रि तक जप, ध्यान, सत्संग और प्रभु एवं गुरु भक्ति में नृत्य कर जन्मोत्सव मनाया। रात्रि 12 बजे भगवान के जन्म के बाद सभी ने विधिवत विद्वान एवं संयमित ब्राह्मणों के मार्गदर्शन में भगवान लड्डू गोपाल का पूजन अभिषेक किया।

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