साहित्य सरोकार : किसी भी दायरे में कैद नहीं रहती सृजनशीलता, मां बेटे ने किया रचना पाठ

यूके से आए अभिषेक, नन्हीं दिव्यांशी ने भी पढ़ीं रचनाएं

‘सुनें सुनाएं’ का दायरा ‘लोकल’ से ‘ग्लोबल’ होना सुखद

उत्सव की दी एक दूसरे को बधाई और शुभकामना

हरमुद्दा
रतलाम, 3 नवंबर। सृजनशीलता किसी दायरे में कै़द नहीं रहती। इसकी ख़ुशबू निरंतर फैलती है। इसके प्रति आकर्षण भी निरंतर बढ़ता है । शहर में प्रारंभ हुई एक पहल की महक दूर-दूर तक पहुंच रही है । यही कारण है कि ‘सुनें सुनाएं ‘ का दायरा ‘लोकल’ से ‘ग्लोबल’ होता जा रहा है । यह शहर के लिए गौरव की बात है। सुखद संयोग यह भी रहा की मां बेटे ने भी रचनाओं का पाठ किया। यह विचार शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बीते दो सालों से निरंतर जारी आयोजन ‘सुनें सुनाएं’ के 26 वें सोपान में उभर कर सामने आए।

समयबद्ध और निर्धारित स्वरूप में आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम भाई दूज का पर्व होने के बावजूद इसी दिन आयोजित किया गया और इसमें शहर के सृजनशील साथियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को सार्थकता प्रदान की। आयोजन की खास बात यह रही की मां स्मिता शुक्ला और बेटे अनंत शुक्ला ने रचना पाठ किया।

इन्होंने किया रचना पाठ

जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल रतलाम पर आयोजित इस सोपान में यूके से आए अभिषेक दीक्षित, नन्हीं दिव्यांशी और अनंत शुक्ला सहित दस साथियों द्वारा अपने पसंदीदा रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया गया।
शुरुआत करते हुए नन्हीं दिव्यांशी दीक्षित द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना ‘कोयल’ का पाठ किया गया । कमलेश पाटीदार ने डॉ. कुँवर बेचैन की रचना ‘अंक गणित सी सुबह है मेरी’ का पाठ, नरेंद्र त्रिवेदी ने एम.जी. हशमत की रचना ‘ मेरा जीवन कोरा कागज़ ‘ का पाठ, नीलिमा उपाध्याय ने बाबूलाल जैन ‘जलज’ की रचना ‘ सत्यं, शिवम् , सुंदर भावों की हम शांति , क्रांति चिंगारियां ‘ का पाठ, अभिषेक दीक्षित ने गोपालदास ‘नीरज’ की रचना ‘छिप छिप कर अश्रु बहाने वालों’ का पाठ, अनमोल सुरोलिया ने दुष्यन्त कुमार की रचना ‘ इस नदी की धार से ‘ का पाठ, अनंत शुक्ला ने रमेश मिश्र ‘आनंद’ की रचना ‘फटे चीथड़े तन में डाले ‘ का पाठ, स्मिता शुक्ला ने अज्ञात रचनाकार की रचना ‘ तुम सी हो गई हूं ‘ का पाठ किया। 

इनकी उपस्थिति रही

आयोजन में प्रो. रतन चौहान, रीता दीक्षित, सरिता दशोत्तर, विनोद झालानी, नरेंद्र सिंह डोडिया, नरेंद्र सिंह पंवार, दिनेश राजपुरोहित,  कमलेश पाटीदार, जितेंद्र सिंह पथिक , जयवंत गुप्ते,  हरेंद्र कोठारी, दिनेश जोशी बाजना, सुरेंद्र सिंह कोठारी, कल्पना सुरोलिया, डॉ. गायत्री तिवारी, आशा श्रीवास्तव, ललित चौरडिया, पंडित मुस्तफा आरिफ, जीएस खींची, मयूर व्यास, पीरूलाल डोडियार, अनीस मोहम्मद खान,  प्रकाश हेमावत, आई.एल. पुरोहित, नीरज कुमार शुक्ला, बृजेश कुमार गौड़, लगन शर्मा, सुनील व्यास, श्याम सुंदर भाटी, मणिलाल पोरवाल, कीर्ति कुमार शर्मा, मीनाक्षी मलिक, विभा राठौड़, सुशील माथुर, शिवम माथुर, किरण जैन, सुयश माथुर, शरद माजू, दुष्यंत व्यास, अरविंद मेहता , विष्णु बैरागी, महावीर वर्मा, आशीष दशोत्तर सहित सुधिजन मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है। अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ होता है। समय पर प्रारंभ हो कर समय पर समाप्त होने वाले इस आयोजन के अंत में पर्व प्रसंग की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *