महिला उत्पीढ़न के खिलाफ आवाज उठाना रचनात्मकता का मुख्य उद्देश्य : उमा मेहता त्रिवेदी

हरमुद्दा

शाजापुर / इंदौर। गीत, गजल और नई कविता के क्षेत्र में उमा मेहता त्रिवेदी का उभरता हुआ नाम है। आपको अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। महिला उत्पीढ़न के लिखाफ आवाज उठाना इनकी रचनात्मकता का मुख्य उद्देश्य है।

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इंदौर में रहने वाली उमा मेहता को विश्व हिन्दी साहित्य परिषद दिल्ली, कराडा द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मान

कम्युनिकेशन, हरियाणा, रंगोली फिल्म एंड मीडियाज, नेशनल डॉट काॅम, लेखिका संघ, प्रयास, वास्तविकता, काव्योदय, काव्यांजलि, स्वर्णिम भारत एक खोज, रोटरी क्लब सीहोर, दर्पण, प्रियदर्शनी (गुजराती राजस्थान पत्रिका), नवी मुम्बई, प्रतिभा दर्पण, जय वाणी भोपाल, नारी तू कल्याणी इंटरनेशल मेग्जिन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें दिल्ली की संस्था द्वारा साहित्य सारथी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अभी तक इनके पांच साझा संकलन प्रकाशित चुके हैं एवं गीत गजल से सम्बंधित मौलिक रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्थान लेती रहती है।

प्रस्तुत है उमा मेहता की चुनिंदा कविताएं

धारा
ढलना है पानी की तरह हमें
उड़ना है गगन में पखेरू की तरह
बहना है सरिता बन पवित्र, विश्वास निर्मल
एक धारा की तरह

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स्त्री
ईश्वर की गोद में बसती
स्वयं ईश बल
सुख दुख मिलन बिछड़न से
बचाती रहती
प्रतिपल सजाती संवारती
महका कर सबल बना देती
समझती है केवल स्नेह की भाषा
और सूंघ लेती है पवित्र भावनाओं की गंध को
तभी पूज्य वो कहलाती।

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कौन हूं
शोर भर दूं
वो शंखनाद हूं मैं
व्याकुल कर दूं ध्वनि को
वो मौन हूं मैं
और पूछते हो कौन हूं मैं ?
परिवर्तन हूं, परिचायक हूं
सबसे पीछे खड़ी हूं
फिर भी नायक हूं
अकेली जन जन पर
भारी हूं मैं, हां नारी हूं मैं
यह मत समझो कि मौन हूं
और पूछते हो कौन हूं मैं।

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