सागर के किस कवि में क्या गहराई है, वर्षा सिंह के पास है इसका अनुमानित नाप : निर्मल
🔲 “ग़ज़ल जब बात करती है” लोकार्पित
हरमुद्दा
सागर, 19 फरवरी। वर्षा सिंह हिंदी की श्रेष्ठ ग़ज़लकार तो हैं ही, साथ ही उन्होंने सागर के कवि लेखकों को अपनी कलम से उजागर किया है। सागर के किस कवि में क्या गहराई है, वर्षा सिंह के पास इसका अनुमानित नाप है। आचरण समाचार पत्र में उनका स्तंभ इसका प्रमाण है।
यह बात वरिष्ठ कवि निर्मलचंद निर्मल ने कही। कवि श्री निर्मल सुप्रसिद्ध कवयित्री व ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह के छठवें ग़ज़ल संग्रह “ग़ज़ल जब बात करती है” का विमोचन समारोह बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।
देश की बड़ी कवयित्रियों में शामिल हैं वर्षासिंह : आचार्य
आदर्श संगीत महाविद्यालय में श्यामलम् द्वारा आयोजित गरिमामय आयोजन में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.सुरेश आचार्य ने कहा कि डॉ.वर्षा सिंह के ग़ज़ल संग्रह “ग़ज़ल जब बात करती है” में उनकी समाज चिंता, पर्यावरण की परवाह, क्षय होते हुए मानव मूल्य और आधुनिकता के चक्कर में सांस्कृतिक मूल्यों को चोट पहुंचाने की तकलीफ को साफ पहचाना जा सकता है। एक अच्छी रचनाकार होने के नाते उन्हें भारतीयता की गहरी पहचान है। प्रेम,विरह और चिंताएं उनकी रचनाओं में स्पष्ट पहचानी जा सकती हैं। वे देश की बड़ी कवयित्रियों में शामिल हैं। बुंदेलखंड भी उनकी रचनाओं से झांकता है। हमें उनसे बड़ी उम्मीदें हैं।
सामाजिक मूल्यों के विखंडन की दौड़ में प्रेम का संदेश : तिवारी
डॉ. श्याम मनोहर सिरोठिया के समीक्षा आलेख का वाचन करते हुए विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ.महेश तिवारी ने कहा कि सामाजिक मूल्यों के विखंडन की दौड़ में प्रेम का संदेश देती हुई डॉ.वर्षा सिंह की ग़ज़लें खरे सोने जैसी प्रमाणित हैं। ये बुद्धि कौशल से साहित्य पीठिका पर रखे गए अप्रतिम सृजन का शानदार स्वरूप हैं, जो पाठक के मन को प्रभावित करती हैं,अपना मुरीद बना लेती हैं।
ग़ज़ल संग्रह ग़ज़ल के मानकों पर खरा उतरता : डॉ. सिंह
सागर विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के सहा. प्राध्यापक डॉ. शशि कुमार सिंह ने संग्रह पर समीक्षा करते हुए कहा कि डॉ. वर्षा सिंह का ग़ज़ल संग्रह ” गजल जब बात करती है” वर्तमान हिन्दी ग़ज़ल का एक श्रेष्ठ निदर्शन है। यह ग़ज़ल संग्रह ग़ज़ल के मानकों पर खरा उतरता है तथा प्रेम के साथ साथ मनुष्यता का संदेश भी देता है। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक भावप्रकाशन इस ग़ज़ल संग्रह की प्रमुख विशेषता है।
नए प्रयोगों को भी अपने ढंग से अपनाती : दुबे
आदर्श दुबे ने समीक्षा आलेख में वर्षा जी की शायरी को भीड़ से अलग बताते हुए कहा कि उनकी शायरी जहां रिवायती लहज़े को आसानी से, आसान ज़बान में ढालती है वहीं नए ज़दीद लहज़े और नए प्रयोगों को भी अपने ढंग से अपनाती है।
किया अभिनन्दन डॉ. वर्षा सिंह का
कार्यक्रम में ग़ज़लकार डॉ. वर्षा सिंह का आयोजक संस्था श्यामलम् द्वारा शाल, श्रीफल, पष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया गया। कवि आर.के.तिवारी ने स्वरचित अभिनंदन गीत का गायन किया। श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने वर्षा सिंह का परिचय दिया।
जागरूक संस्थाएं हों तो साहित्य पर कभी कोई संकट नहीं : डॉ. सिंह
डॉ.वर्षा सिंह ने श्यामलम् संस्था के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक शहर में ऐसी जागरूक संस्थाएं हों तो साहित्य पर कभी कोई संकट नहीं आ सकता। अपनी ग़ज़लों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं समाज में जो कुछ घटित होता देखती हूं उसे ही अपनी ग़ज़लों में पिरोती हूं। इसीलिए मुझे आम बोलचाल की भाषा में ग़ज़ल कहना पसंद है।
सरस्वती वंदना से शुरुआत
कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती की पूजा अर्चन तथा बाल सरस्वती सुश्री ऐश्वर्या दुबे द्वारा सरस्वती वंदना गायन से हुआ।डॉ. शरद सिंह, डॉ.चंचला दवे, सुनीला सराफ, नंदिनी चौधरी, नीतू नयन, ममता भूरिया, श्रीमती चतुर्वेदी, नम्रता फुसकेले व देवकी भट्ट नायक दीपा ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। कवि राधा कृष्ण व्यास ने अंजीर का पौधा भेंट किया।बुंदेलखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति विकास मंच द्वारा भी सम्मान किया गया।
संचालन डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने किया। डॉ.शरद सिंह ने आभार माना
साहित्य प्रेमी थे मौजूद
इस अवसर पर शिवशंकर केसरी, पं.शंभुदयाल पाण्डेय, डॉ. जीवनलाल जैन, डॉ. उदय जैन, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, प्रो. के.एस.पित्रे, डॉ. आशुतोष मिश्र, डॉ.कन्हैया त्रिपाठी,डॉ.आशीष द्विवेदी, अंबिका यादव, डॉ. नवनीत धगट, हरी सिंह ठाकुर, डॉ.राकेश शर्मा, डॉ.रामरतन पांडेय, डॉ.सतीश पांडेय, डॉ.भुवनेश्वर तिवारी, के.एल. तिवारी अलबेला, डॉ. ऋषभ भारद्वाज,रवींद्र दुबे कक्का, मुकेश निराला, राजेंद्र दुबे कलाकार, पप्पू तिवारी, पूरन सिंह राजपूत, डॉ.अरविंद गोस्वामी, शमीम बानो, डॉ.अभिषेक ऋषि,आर.के.चतुर्वेदी, आज्ञा संतोष तिवारी, अयाज़ सागरी, एम.शरीफ, असरार अहमद, डॉ. एस.आर.श्रीवास्तव, सुबोध श्रीवास्तव, विश्वनाथ चौबे, पुष्पदंत हितकर, ज.ला.राठौर प्रभाकर, टी.आर. त्रिपाठी, पुष्पेंद्र दुबे, वीरेंद्र प्रधान, हरी शुक्ला, कुंदन पाराशर, अशोक तिवारी अलख, शैलेष शुक्ला, पैट्रिस फुसकेले, मितेन्द्र सिंह सेंगर, रमेश दुबे,भगवान दास रायकवार, देवीसिंह राजपूत, जीएल छत्रसाल, अखिलेश शर्मा, अतुल श्रीवास्तव, अंबर चतुर्वेदी चिंतन, गोविंद दास नगरिया, प्रभात कटारे नलिन जैन, गणेश चौरसिया सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।