उम्दा आयोजन में 3000 परिवारों ने घरों में बाबा साहेब को अर्पित किए श्रद्धा सुमन
🔲 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आयोजन घर घर में
🔲 प्रान्त संघचालक डॉ . प्रकाश शास्त्री के वीडियो संदेश का हुआ प्रसारण
🔲 संकट का सामना अनुशासन बंद करने का लिया संकल्प
हरमुद्दा
रतलाम, 15 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने घरों में होने वाली परिवार शाखाओं ने वर्तमान समय में भारत पर आए संकट का सामना अनुशासनबद्ध होकर करने का संकल्प लिया। उम्दा आयोजन में 3000 परिवारों ने घरों में बाबा साहेब को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघ चालक डॉ . प्रकाश शास्त्री के वीडियो संदेश का प्रसारण हुुुआ। आपरिवार शाखाओं में परिवार के सभी वरिष्ठ, बुजुर्ग, बच्चें, माताएं , बहने सम्मिलित हुई और वीडियो संदेश को ध्यानपूर्वक सुना।
जिला प्रचार प्रमुख विवेक जायसवाल ने हरमुद्दा को बताया कि सम्पूर्ण देश में अपनी शाखाओं में भारत रत्न पूजनीय डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती उल्लासपूर्ण तरीके से मनाता रहा है। भारत सहित विश्व पर आए कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण भारत सरकार द्वारा लागू लॉक डाउन का पालन करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाएं अपने अपने घरों में परिवार में ही लग रही है। जिसे परिवार शाखा कहा जाता है। पूजनीय बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष में रतलाम जिले की लगभग 3000 परिवार शाखाओं में पूजनीय डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
समाज को समरस बनाने के महामानव : डॉ. शास्त्री
वीडियो के माध्यम से प्रसारित अपने बौद्धिक में प्रान्त संघ चालक डॉ . प्रकाश शास्त्री ने डॉ. अम्बेडकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महात्मा बुद्ध के बाद पूजनीय बाबा साहब ऐसे महामानव थे जिन्होंने समाज को समरस करने के अपने विचार को धरातल पर उतारने के लिए सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उनका व्यक्तित्व सूर्य के समान तेजस्वी , चंद्र के समान मोहक , ऋषि के समान ज्ञानी और संत के समान शांत था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के समय से ही पूजनीय बाबा साहब के विचारों का अनुसरण करते हुए जातिविहीन समरसता युक्त भारत के निर्माण के लिए कार्य कर रहा है, इसीलिए संघ अपने स्वयंसेवको के माध्यम से प्रत्येक ग्राम में एक मंदिर , एक जलाशय और एक शमशान अर्थात भेदभाव रहित समाज के अभियान में लगा हुआ है।
डॉक्टर शास्त्री ने समझाया बाबासाहेब के 3 सिद्धांतों को
डॉ. प्रकाश शास्त्री ने पूजनीय बाबा साहब के दर्शन को विस्तारपूर्वक समझाते हुए उनके तीन सिद्धान्तों का उल्लेख किया , ” व्यक्तिगत स्वतंत्रता , समता और बंधुता “। डॉ.अम्बेडकर की दृष्टि में पूंजीवादी व्यवस्था में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिरेक होने पर समता समाप्त हो जाती है, उसी प्रकार साम्यवादी व्यवस्था में समता का अतिरेक होने पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता का लोप हो जाता है इसलिए बंधुता का भाव होने से स्वतंत्रता और समता का संतुलन बना रहता है। इस बंधुता के भाव से ही संघ अपनी शाखाओं में संस्कार युक्त स्वयंसेवक तैयार करता है जो समाज में चारों ओर समरसता का वातावरण तैयार करते हैं।