प्रकृति मस्कुरा रही है जाना ही होगा कोरोना रूपी राक्षस को

🔲 “कोरोना और उम्मीद” विषय पर हुई ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

🔲 हिन्दी लेखिका संघ सागर इकाई ने इन्टरनेट पर किया काव्य गोष्ठी का आयोजन

डॉ. चंचला दवे
सागर, 25 अप्रैल। हिन्दी लेखिका संघ ने इन्टरनेट पर काव्य गोष्ठी आयोजित की। गोष्ठी का विषय “कोरोना और उम्मीद” रहा। काव्य गोष्ठी की रुपरेखा संस्था अध्यक्ष सुनीला सराफ ने रखी। गोष्ठी की नियमावली डॉ. चंचला दवे ने निर्धारित की। अध्यक्षता करते हुए संचालन डॉ. छाया चौकसे एवं प्रो. डॉ. सरोज गुप्ता ने किया।

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गोष्ठी में संध्या दरे, निधी यादव, पारुल दरे, ज्योति झुडेले, जयंती सिंह लोधी, डॉ. ऊषा मिश्रा, पुष्पलता पाण्डे, शशि दीक्षित, ज्योति दीक्षित, ऊषा बर्मन, ज्योति विश्वकर्मा, नंदनी चौधरी, डॉ. सरिता जैन, डॉ. नम्रता फुसकेले, स्मिता गोडबोले , स्नेहा जैन,पूनम साहू, शोभा सराफ, डा. वंदना गुप्ता, कंचन केशरवानी, डॉ. सरोज गुप्ता, डॉ. छाया चौकसे, डॉ. चंचला दवे, सुनीला सराफ आदि लेखिकाओं ने उपस्थिति दर्ज की। आभार जयंती सिंह ने माना।

जिस तरह राक्षसों का संहार किया उस तरह एक दिन कोरोना को हारना ही होगा : डॉ. गुप्ता

कोरोना की विकट समस्या और उसके निदान की उम्मीद को लेकर डॉ. सरोज गुप्ता ने अपनी कविता के माध्यम से पौराणिक दृष्टांतों का वर्णन करते हुए कहा देवी ने जिस तरह राक्षसों का संहार किया एक दिन कोरोना को हारना ही होगा।

रहना चाहिए आशावान : डॉ. चौकसे

डॉ. छाया चौकसे ने कहा कि सुख दुख की आंख मिचौली ही जीवन के सत्यों से साक्षात्कार कराती है। हमें आशावान रहना चाहिए।

जलाएं उम्मीद का दीया : डॉ. दवे

डॉ. चंचला दवे ने कहा उम्मीद का दीया जलाकर लॉक डाउन का पालन करते हुए हमें करोना को हराना है।

जिस का हुआ है जन्म तो अंत भी है तय

सुनीला सराफ ने कहा हम कोरोना का तर्पण करेंगे उम्मीद रखें। निधी, पारुल एवं नंदनी ने भी कुछ इसी तरह से कहा कि जो जन्म लेता है, उसका अंत भी निश्चित है तो कोराना की क्या विषात है। शशि, स्मिता एवं डॉ. सरिता ने प्रकृति एवं स्वयं को ऊर्जा वान रहने की सलाह दी। पुष्पलता एवं ज्योति जुझेले, पुष्पलता ने कोरोना को बहेलिया की उपमा देते हुए कहा लॉक डाउन से शिकार करेंगे। स्नेहा एवं ऊषा बर्मन ने प्रकृति मस्कुरा रही है पर कोरोना रूपी राक्षस को जाना ही होगा।

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