साहित्य सरोकार : अक्षरों का अध्येता और शब्दशक्ति का परखी होता है रचनाकार
⚫ प्रो. अज़हर हाशमी ने कहा
हरमुद्दा
रतलाम, 24 नवंबर। वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अज़हर हाशमी ने कहा है कि एक रचनाकार अक्षरों का अध्येता और शब्द शक्ति का परखी होता है। वह समाज के समंदर में से एक सुई निकालकर यह साबित करता है कि सृजनात्मक आकाश में कुछ भी असंभव नहीं है। वह अपने रचनाकर्म में रत रहते हुए निरंतर नए प्रयोग करता है, जो समाज के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।
प्रो. हाशमी ने युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर की नवीन कृति ‘घर के जोगी ‘ पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनका अभिनंदन किया। प्रो. हाशमी ने कहा कि शब्दों की गरिमा उसे प्रयोग करने वालों पर निर्भर करती है। आशीष दशोत्तर ने विभिन्न विधाओं में लिखते हुए शब्दों की गरिमा को कायम रखा है। यह शहर के भविष्य के लिए सुखद है।
परिवेश से सीखना और राह बनाना महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि सृजन का क्षेत्र बहुत विस्तृत है और इसमें निरंतर अध्ययन, चिंतन और लेखन करने वाला व्यक्ति ही सफल होता है। साहित्य सृजन के लिए आवश्यक है कि अपने पूर्व के रचनाकारों को पढ़ा जाए और उन्हें समझा भी जाए। इसी से वर्तमान की दिशा तय होती है और भविष्य का आकर भी निश्चित होता है। निरंतर बेहतर साहित्य सृजन के लिए अपने परिवेश से सीखना और अपनी एक राह बनाना भी महत्वपूर्ण होता है। प्रो. हाशमी ने इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं प्रदान करते हुए श्री दशोत्तर के उज्जवल भविष्य की कामना की।