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जागरूकता के अभाव बीमारियां ही नहीं, विकृतियां भी फैलती : आचार्यश्री विजयराजजी महाराज

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हरमुद्दा
रतलाम, 24 मई। पत्थर आखिरी चोट में टूटता है,मगर इससे पहले की चोटें बेकार नहीं जाती। वे भी पत्थर को तोडने का ही काम करती है। जडता जबरदस्त होती है, इसलिए सुरक्षित जीवन के लिए जागरूकता का नियम सबकों समझ में आना चाहिए। जागरूकता के अभाव में ना केवल बीमारियां फैलती है, वरन विकृतियों का फैलाव भी होता है। कोरोना के इस संकट काल में स्वस्थ जीवन के इच्छुक ही सोश्यल डिस्टेस्टिंग व मास्क आदि का उपयोग कर रहे है। यह अपनी सुरक्षा के साथ दूसरो की भी सुरक्षा है।
यह बात शांत क्रांति संघ के नायक, जिनशासन गौरव प्रज्ञानिधि,परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी महाराज ने कही। सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में विराजित आचार्यश्री ने धर्मानुरागियों को प्रसारित धर्म संदेश में कहा कि विचार करके काम करना मुश्किल है। विचार करते हुए काम करना सर्तकता है और काम करने के बाद विचार करना मूर्खता है। अधिकांश लोग काम करनेे के बाद विचार करते है। परिणाम खराब आने पर विचार करना मूर्खता के सिवाय कुछ नहीं है। ऐसी मूर्खताएं जीवन में ना हो, इसके लिए सतर्क और समझदार होने की आवश्यकता है। कोरोना के संकटकाल में यह सर्तकता और समझदारी अपनाने की जरूरत सबको है। यह महामारी संक्रमण से फैल रही है, अगर समय रहते सतर्क और सावधान नहीं हुआ गया, तो इसके भयावह परिणाम सभी को भुगतने पड़ सकते है। शारीरिक दूरी कोई मजबूरी नहीं है। इसमें अपना और दूसरों का हित निहित है।

थोड़ी सी लापरवाही से भुगतना पड़ता है बड़ा खामियाजा

आचार्यश्री ने कहा कि वर्तमान में हम जितने पाबंद रहेंगे, हमारा और हमारे सहवर्तियों का भविष्य उतना संरक्षित और सुरक्षित रहेगा। थोड़ी सी लापरवाही बहुत बड़ा खामियाजा देकर जाएगी। इसलिए काम करते समय सतर्क रहो, क्योंकि सतर्कता ही सुरक्षा की दहलीज का पहला कदम है। सतर्क नहीं रहने वाला व्यक्ति सुरक्षित भी नहीं रह सकता। सतर्कता की निष्ठा यदि मानव-मानव के भीतर पैदा हो जाए, तो कोरोना को हराना कोई बडी बात नहीं होगी। मानव जब भी किसी चीज पर एक निष्ठा से काम करता है, तो उसमे सफल होता है। निष्ठा के अभाव में सतर्कता नहीं और सतर्कता के अभाव में सफलता नहीं होती। हर समझदार व्यक्ति को अच्छे के लिए संकल्पित होना चाहिए। आज का संकल्प कल के लिए वरदान साबित होगा और आज की लापरवाही कल के लिए अभिशाप बनेगी।

जीवन चर्या में स्थान दे विवेक को

आचार्यश्री ने कहा कि अच्छे लोग उन लोगों की सुरक्षा के लिए जीते है, जो आज मजबूर है, अशांत है और अनभिज्ञ है। यह भी तय है-अच्छे विचार खाद की तरह होते है, जब तक उन्हें फैलाया नहीं जाता, वे उपयोगी नहीं बन पाते। अच्छे विचारों का अधिकतम प्रसार होना चाहिए। मानव भुलक्कड़ स्वभाव का होता है, जब उसे बार-बार कहा जाता है, तब उसे कुछ समझ मे आता है। जिसका स्वभाव विनम्र, सरल, और भाव प्रबल होता है, उसे ज्यादा समझाने की आवश्यकता नही रहती। अक्खड़, अड़ियल और जिद्दी स्वभाव वालों को कितना भी समझाओं उन्हें कम समझ में आता है और जब समझ में आता है, तब तक समय निकल चुका होता है। हर धर्म को मानने वाले को अपने जीवनचर्या मेें विवेक को स्थान देना चाहिए। इसी से सबका भला है। हम जितने विनम्र और विवेक सम्पन्न होते जाएंगे, उतनी ही हमारी भक्ति सार्थक होगी और हम भगवान के करीब होकर सुरक्षित होते जाएंगे।

महामंत्र के जाप से आचार्यश्री नानेश का गुणानुवाद

सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी महाराज की निश्रा में रविवार को आचार्यश्री नानेश की जन्म शताब्दी वर्ष के समापन पर नवकार महामंत्र का जाप किया गया। शांत क्रांति संघ के अध्यक्ष मोहनलाल पिरोदिया एवं मंत्री दिलीप मूणत ने बताया कि सुबह 6 से शाम 6 बजे तक 6-6 दम्पत्तियों ने सोशल डिस्टेस्टिंग का पालन करते हुए जाप में शामिल होकर आचार्यश्री नानेश का गुणानुवाद किया।
उन्होंने बताया कि आचार्यश्री विजयराजजी महाराज 25 मई को सिलावटो का वास स्थित नवकार भवन से विहार कर गोपाल गौशाला कालोनी जाएंगे। वे एक दिन का प्रवास श्री संतोष कटारिया के निवास पर करेंगे। इसके बाद विहार कर 26 मई को जैन कालोनी स्थित कुशल भवन में, 27 मई को रामबाग में तेजपाल गादिया के निवास, 28 एवं 29 मई को स्टेशन रोड स्थित जैन स्थानक एवं 30 एवं 31 मई को कस्तूरबा नगर स्थित स्थानक में प्रवास करेंगे।

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