कोरोना वायरस रिपोर्ट : आखिर क्या छुपाना चाहता है जिला प्रशासन?, पॉजीटिव की रिपोर्ट बताने में लग गए 3:30 घंटे
🔲 हेमंत भट्ट
रतलाम, 24 मई। कोरोना वायरस रिपोर्ट को लेकर जिला प्रशासन पर शंका के घेरे में है। मुद्दे की बात तो यह है कि इसके चलते सवालों की उंगलियां तो उठ ही रही है, लेकिन पिछले सप्ताह तो हद हो गई। खबर नवीसों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगने लगे। जब मन में आए, तब रिपोर्ट जारी करना आदत में शुमार हो गया है।
रतलाम मेडिकल कॉलेज दिन भर में 50 सैंपल की जांच करने का दंभ भरता है, लेकिन बुधवार 20 मई को केवल एक रिपोर्ट का खुलासा किया गया। सुबह 10:10 पर जिला प्रशासन द्वारा हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया। इसके पश्चात शाम 6:45 बजे हेल्थ बुलेटिन जारी किया गया। इसमें बताया गया था कि केवल एक रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जिला प्रशासन द्वारा सुबह जारी किए गए हेल्थ बुलेटिन में लिए गए सैंपल की संख्या 1086 दिखाई गई थी, वहीं शाम को संख्या बढ़कर 1107 हुई। 21 सैंपल लिए गए। सुबह नेगेटिव रिपोर्ट का आंकड़ा 950 था, जो कि शाम को 951 हो गया। सुबह जहां 46 सैंपल यह रिपोर्ट का इंतजार था, वही शाम को 66 सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार। 20 मई की रात 9:35 बजे रिपोर्ट आई कि एक व्यक्ति पॉजीटिव निकला है जो कि जवाहर नगर का है और अहमदाबाद से उपचार करवाकर आया है।
21 मई : एक नजर
3 दिन पहले की ही बात है। 21 मई को शाम 7 बजे जिला प्रशासन ने हेल्थ बुलेटिन जारी किया जिसमें बताया गया कि 33 सैंपल की रिपोर्ट मिली है और 33 ही नेगेटिव है। रात 9 बजकर 53 मिनट पर खबर दी गई कि 33 सैंपल की रिपोर्ट प्राप्त हुई है और 32 सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव तथा एक सैंपल की रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। एक व्यक्ति को पॉजीटिव बताने में जिला प्रशासन को साढे 3 घंटे लगे।
23 मई : एक नजर
शनिवार रात को भी जिला प्रशासन ने हेल्थ बुलेटिन रात 8:24 पर जारी किया। जिसमें 1157 सैंपल लेने और 1027 की रिपोर्ट नेगेटिव दिखाई गई। इसके पहले शुक्रवार की रिपोर्ट में 1147 सैंपल लेने और 996 सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव दिखाई गई। इस तरह 31 रिपोर्ट नेगेटिव होती है। तो फिर डेढ़ घंटे बाद शनिवार को रात 9:54 फिर जानकारी देने की क्या जरूरत थी कि 11 सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
जब मन में आया तब रिपोर्ट
कभी सुबह शाम हेल्थ बुलेटिन जारी हो जाए तो कभी 24 घंटे में एक बार। आखिर क्या कारण है इसके पीछे यह तो जिला प्रशासन के आला अफसर ही जाने। खबरनवीस भी कोरोनावायरस के मामले में जिला प्रशासन पर ही भरोसा कर रहा है। वह जो रिपोर्ट देता है, वही प्रकाशित और प्रसारित करते हैं। कोरोनावायरस की रिपोर्ट जारी करने में संवादहीनता है, या फिर हकीकत बताने के लिए हरी झंडी का इंतजार करते हैं। हरी झंडी नहीं मिली तो वह परदे में रह जाती है। आखिर गुमराह क्यों किया जा रहा है? यह प्रश्न उठना लाजमी है।
पॉवर मिलते ही लॉक डाउन को बताया धता
शहर कांग्रेस अध्यक्ष का पॉवर मिलते ही बावले हो गए हैं। मार्च से जो लॉक डाउन के नियमों का पालन किया जा रहा है, वह बोहरा समाज की ईद के दिन तोड़ दिया गया। शहर कांग्रेस अध्यक्ष ईद की शुभकामना का बुके देते हुए हाथों को स्पर्श किया गया। जबकि पूरे देश भर में इन दिनों केवल नमस्ते का बोलबाला है, यानी कि दूर से राम-राम करने का चलन में है। शुभकामना देने के दौरान ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और ना ही मुंह और नाक पर मास्क लगाया गया। हां, मास्क गले में जरूर लटका हुआ था। मास्क शायद इसलिए निकाल लिया होगा कि फोटो में क्या पता चलेगा कि कौन बधाई व शुभकामनाएं दे रहा है। खास बात तो यह है कि बधाई देने और लेने वाले दोनों ने ही मास्क नहीं पहने थे। आखिर यह क्या संदेश देना चाहते हैं? लॉक डाउन का पालन नहीं करेंगे। या फिर सरकार जो बोल रही है, उसका विरोध करेंगे।
बिजली का झटका और विधायक मौन
विद्युत मंडल में विद्युत के आम उपभोक्ताओं को जो बिल दिए हैं, वे काफी झटके दे रहे हैं। पिछले साल की खपत के अनुसार बिल थमा दिए गए। उधार लेकर लोगों ने 20 तारीख के पहले बिल का भुगतान करने की कोशिश की, ताकि अधिभार की राशि जमा कराने से बच सकें। या फिर भीषण गर्मी में विद्युत कनेक्शन कट न हो जाए। इस डर से भी मोटी राशि के बिल भर दिए गए। इसके लिए भले ही उन्हें इधर-उधर से उधार रुपए मांगने पड़े हो। मगर इस मामले में नगर विधायक क्यों मौन रहे? यह समझ से परे हैं, जबकि व्यापारियों के लिए शून्य यूनिट के बिल जारी करने के बात विद्युत मंडल ने कही। आखिर विद्युत उपभोक्ताओं के साथ दोहरी मानसिकता क्यों अपनाई जा रही है? शहर के हजारों विद्युत उपभोक्ताओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ विधायक ने आवाज क्यों नहीं उठाई ? इस पर जनचर्चा में आवाज मुखर हो रही है। पहले ही कमाई नहीं हो रही है और ऊपर से इतनी मोटी राशि के बिल, आखिर कैसे भुगतान करें। सरकार भी भाजपा की और विधायक भी भाजपा के तो फिर आमजन की समस्या का समाधान क्यों नहीं करवाया गया?