‘बूंद अहसासों की’ रचनाकार रंजना फतेपुरकर की रचनाएं
बूंद अहसासों की
एक बूंद तुम्हारे अहसासों की
मेरी नज़रों पर ठहर गई
एक बूंद तुम्हारी मुस्कानों की
मेरे होठों पर ठहर गई
गिरती बारिशों में
तुम्हारी यादों की जो महक उठी
एक बूंद चाँद के नूर की
मेरे आँचल पर ठहर गई
सर्द रातों की रुत में
भीगती ख्वाहिशें बेमिसाल हो गईं
घटाओं में तैरती हसरतों की
महक सबसे जुदा हो गई
जबसे तुम्हारे रेशमी ख्वाबों ने
रेशमी पलकों को छुआ है
तुंहरी भीनी यादों में लिपटकर
ये जिंदगी गुलाब हो गई
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तलाश
हर मोड़ पर तलाशते हैं तुम्हें
कि किसी मोड़ पर तुमसे
मुलाकात हो जाए
होठों की खामोशियों में
जो छुपी है
नज़रों से वो बात हो जाए
हर घड़ी इंतज़ार रहता है रातों का
कि ख्वाबों में सही
तुमसे मुलाकात हो जाए
हर बहार में तलाशते हैं तुम्हें
कि किसी महकती कली में
तुम्हारी झलक मिल जाए
बंद पलकों में जो छुपी है
वो तस्वीर नज़र आ जाए
इंतज़ार रहता है उन लम्हों का
कि यादों में सही
तुमसे मीठी बातें हो जाएं
🔲 रंजना फतेपुरकर