पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का लंबी बीमारी के बाद निधन
🔲 अटल सरकार में थे मंत्री
🔲 एक बार निकाला था भाजपा से
🔲 आखरी बार उन्होंने छोड़ दी भाजपा
🔲 प्रधानमंत्री ने जताया शोक
हरमुद्दा
दिल्ली, 27 सितंबर। अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह (82) का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। इसी साल उन्हें सिर में चोट लगी। इसके बाद से जसवंत कोमा में ही थे। अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और विदेश मामलों के विभाग में एक मजबूत छाप छोड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
जिन्ना की तारीफ में निकाला था भाजपा से
2012 में भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन यूपीए के हामिद अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अपनी किताब में जसवंत ने मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 2010 में उनकी वापसी हुई 2014 में उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। उनकी बाड़मेर सीट से भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को उतारा। इसके बाद जसवंत ने फिर भाजपा छोड़ दी। निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
जसवंत सिंह एक परिचय
जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को हुआ था। भारत के एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ थे। वे 16 मई 1996 से 1 जून 1996 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री रह चुके हैं। 5 दिसम्बर 1998 से 1 जुलाई 2002 के दौरान वे वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री बने। फिर साल 2002 में यशवंत सिन्हा की जगह वे एकबार फिर वित्तमंत्री बने और इस पद पर मई 2004 तक रहे। वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बाजार-हितकारी सुधारों को बढ़ावा दिया।वे स्वयं को उदारवादी नेता मानते थे। 15 वीं लोकसभा में वे दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। वे राजस्थान में बाड़मेर जिले के जसोल गांव के निवासी थे।
भारतीय सेना में रहे अधिकारी, सर्वश्रेष्ठ सांसद का मिला सम्मान
1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी रहे। पंद्रह साल की उम्र में वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे। वे जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह के करीबी माने जाते हैं। जसवंत सिंह मेयो कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवास्ला के छात्र रह चुके हैं। 2001 में उन्हें “सर्वश्रेष्ठ सांसद” का सम्मान मिला। 19 अगस्त 2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस में नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें उनके राजनीतिक दल भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और फिर वापस लिया गया।