सोमवती अमावस्या पर अद्भुत संयोग : विश्व में भारत का बढ़ेगा वर्चस्व, भारतीय विदेश नीति आने वाले तीन सालों में देगी बेहतर परिणाम
🔲 शिप्रा व सोमकुंड में होगा आस्था का स्नान
हरमुद्दा
शनिवार, 5 दिसंबर। 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर पंचग्रही युति बन रही है। इनमें वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, केतु की युति रहेगी। इसी युति का वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल से नवम पंचम दृष्टि संबंध बनेगा। अद्भुत संयोग के फल स्वरूप इसका असर कूटनीतिक क्षेत्र में सफलता को दर्शाता है। भारतीय विदेश नीति आने वाले तीन सालों में बेहतर परिणाम देने वाली रहेगी। विश्व में भारत का वर्चस्व बढ़ेगा।
अगहन मास में 14 दिसंबर को 57 साल बाद पंचग्रही युति योग में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस दिन शिप्रा व सोमकुंड में आस्था का स्नान होगा। सोमेश्वर महादेव के दर्शन को भक्त उमड़ेंगे। शिप्रा स्नान व दान, पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है।
57 साल में बना संयोग
ज्योतिषाचार्य गोचर शर्मा के अनुसार मार्गशीर्ष मास की अमावस्या सोमवार के दिन पांच ग्रहों के युति योग में आ रही है। इस प्रकार का संयोग कभी कभार सालों में बनता है। ज्योतिष गणना से देखें तो वर्तमान ग्रह गोचर में शनि गुरु मकर राशि में गोचरस्थ हैं। मकर वर्ष गणना से देखें तो यह स्थित 57 साल बाद बन रही है। सन् 1963 में पंचांग के 5 अंग जैसे थे वैसे ही 2020 में अमावस्या तिथि, जेष्ठा नक्षत्र, शूल योग, चतुष्पद करण, वृश्चिक राशि का चंद्रमा, यह अपने आप में विशिष्ट माने जाते हैं। पंचाग के पांच अंगों के साथ पंचग्रही योग विशेष प्रबलता लिए हुए हैं
पुण्य, अनुष्ठान आदि के लिए महत्वपूर्ण
ज्योतिष शास्त्र में अलग-अगल गणना के अनुसार ग्रहों की विभिन्न युतियां बनती है। इनमें 2 ग्रहों से लेकर 7 ग्रहों की युतियां बनती रहती है। विशेष पर्व काल में अगर युति योग बनता है,तो यह दान, पुण्य, अनुष्ठान आदि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
विदेशों में सूर्यग्रहण, भारत में मान्य नहीं
सोमवती अमावस्या पर विदेशों में सूर्यग्रहण रहेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने से मान्य नहीं है। शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ.राजेंद्र प्रसाद गुप्त ने हरमुद्दा को बताया 14 दिसंबर का सूर्यग्रहण विदेशों में नजर आएगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा, जो ग्रहण दृश्य नहीं होता है उसकी मान्यता नहीं रहती है।