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बाजारवाद की आड़ में अधिकारों के साथ न हो खिलवाड़

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हरमुद्दा
दुनियाभर के उपभोक्ताओं के लिए 15 मार्च का दिन काफी खास है। इस दिन को अधिकारों की रक्षा के लिए ‘वर्ल्ड कंज्यूमर राइट्स डे’ यानी विश्व उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन उपभोक्ताओं को जागरूक किया जाता है, साथ ही यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है कि बाजारवाद की आड़ में उनके अधिकारों के साथ खिलवाड़ न हो।

स्टडी सर्कल उपभोक्ता संगठन के अध्यक्ष एडवोकेट सुनील पारिख ने हरमुद्दा को बताया कि अब मामला दर्ज कराने में आसानी होगा। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 लागू हो जाने के बाद उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता न्यायालयों में मामला दर्ज करा सकेगा। पहले के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। पहले के उपभोक्ता कानून में इस तरह की सुविधा नहीं थी। आपने जहां से सामान खरीदा है वहीं जा कर आपको शिकायत दर्ज करानी पड़ती।

पहले ऐसा नहीं था कानून में

श्री पारिख ने बताया की कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट की कुछ और महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। पीआईएल या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी। पहले के कानून में ऐसा नहीं था। नए कानून में ऑनलाइन और टेलीशॉपिग कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है।

 खाने-पीने की चीजों में मिलावट तो कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान।

 कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपए तक के केस

 स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपए।

 नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपए से ऊपर केसों की सुनवाई।
कैरी बैग के पैसे वसूलना कानूनन गलत है। पर कार्रवाई की जा सकती है।

सुनील पारिख एडवोकेट
अध्यक्ष स्टडी सर्किल,
उपभोक्ता संगठन

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