मुमुक्षु अमृत व किरण मूणत दीक्षा अंगीकार कर नवदीक्षित अमृतमुनि व साध्वी तरुणाश्रीजी बने
हरमुद्दा
रतलाम,16 अप्रैल। नागरवास निवासी मुमुक्षु अमृत मूणत एवं किरण मूणत ने जैन भागवती दीक्षा अंगीकार कर मंगलवार को नए जीवन की शुरुआत की। वे अब प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनि म.सा.के शिष्य नवदीक्षित श्री अमृतमुनि व महासती श्री पुण्यशीलाजी म.सा.की शिष्या साध्वीश्री तरुणाश्रीजी के नाम से पहचाने जाएंगे। उनकी दीक्षा के असंख्य लोग साक्षी बने। प्रवर्तक श्री ने जय-जयकार के अनुमोदना के बीच दोनों को दीक्षा प्रदान की। उनकी बड़ी दीक्षा 22 अप्रैल को रावटी में होगी।
गोपाल गौशाला कालोनी स्थित समता सदन में दीक्षा सम्पन्न होने के साथ ही दो दिवसीय महोत्सव का समापन हो गया।
निकली महाभिनिष्क्रमण यात्रा
मंगलवार सुबह निवास स्थान से मुमुक्षु दंपत्ति की महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकली। दीक्षा स्थल पर पहुचने के बाद प्रवर्तकश्री एवं मुनिमंडल ने आओ-आओ वीर, दिल मे आए, विराजे वीर के बोल से स्तवन प्रस्तुत किया।
क्षमा याचना के बाद किए वेश परिवर्तन
मुमुक्षु दंपत्ति के पुत्र एवं श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल के पूर्व अध्यक्ष सौरभ मूणत ने कहा कि मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा., आचार्य प्रवर श्री उमेश मुनिजी म.सा. एवं श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाशमुनिजी म.सा.के आशीर्वाद से दौलतराम,मिश्रीमल मूणत परिवार में आज प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा.के मुखारविंद से दीक्षा का प्रसंग उपस्थित हुआ है। उन्होंने दीक्षार्थी माता-पिता को भावपूर्ण शुभकामनाएं दी। मुमुक्षु अमृत मूणत एवं किरण मूणत ने क्षमा याचना की और बाद में वेश परिवर्तन के लिए चले गए।
संयम का मार्ग शूरवीर का
साध्वी प्रशमप्रभा एव शमप्रभा जी ने स्तवन प्रस्तुत किया। साध्वी श्री अनुपमशीलाजी, श्री गिरिशमुनि जी एवं अणु वत्स श्री संयतमुनिजी ने विचार रखे। प्रवर्तक श्री ने कहा कि संयम का मार्ग शूरवीर का है। बड़ो की कृपा से शूरवीर ही इस मार्ग पर आगे बढ़ते है। उन्होंने दीक्षा विधि आरंभ करने से पूर्व श्री धर्मदास जैन गण परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रजनीकांत झामर, श्री संघ अध्यक्ष अरविंद मेहता एवं दीक्षार्थी के परिजनों से औपचारिक आज्ञा ली। बाद में मांगलिक श्रवण कराई और दीक्षा विधि सम्पन्न कर प्रतीकात्मक केश लोच किया गया। इस मौके पर परिजनों ने पात्र एवं रजोहरण वहराए। नवदीक्षित मुनि एवं साध्वीजी ने मांगलिक श्रवण कराई। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र मेहता ने किया। इस दौरान अनेक संस्थाओ के पदाधिकारीगण एवं समाजजन मौजूद थे। महोत्सव का समापन साधर्मिक भक्ति के साथ हुआ।